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 मुखिया के मुखारी – गौशालाओं से दुर्गध यदुवंशियों कों नहीं कसाईयों कों आती है

मुखिया के मुखारी – गौशालाओं से दुर्गध यदुवंशियों कों नहीं कसाईयों कों आती है

शेष महेश गणेश दिनेश , सुरेश जाहि निरंतर गावे ------ ताहि अहीर की छोहरिया ,छछिया भर छाछ पे नाच नचावे, यदुकुल शिरोमणि, 16 कलाओं में निपुण, सुदर्शन चक्रधारी, विष्णु अवतारी आराध्य भगवान श्री कृष्ण यदुवंशी थे,सर्वशक्तिमान अलौकिक सत्ता के पर्याय माखनचोर श्री कृष्ण को अहीर की छोरियां छटाक भर छाछ के लिए नाच नचा देती थी और वे नाचते थे, प्रेम भाव देखता है शक्ति नही,जों सर्वशक्तिमान होते हैं वों सहज होते हैं,यदुवंशी कंश भी थे क्रूर थे दुराचारी थे, यदुवंशी अखिलेश भी हैं, कभी अपने आप को शुद्र तों कभी  पिछड़ा बताते हैं,जिस देश में यदुवंशी आराध्य हों तों फिर ये उस धर्म की समदर्शिता है जिसने उन्हें आराध्य स्वीकारा,कुंती भगवान श्री कृष्ण की बुआ और हस्तिनापुर की महारानी थी,राजपूतों की बहु थी श्री कृष्ण गौ सेवक थे,गौ और गौ शालाओं में वों मग्न रहते थे,अकललेस झूट बोलने के आदी है, इतिहास का ये पन्ना उनसे विस्मृत हो गया है यदुवंशी होकर उन्हें गौशालाओं से बदबू आ रही है, यदुवंशियों को भी अब सोचना होगा की उन्हें कृष्ण पथ पर चलना है या कंश पथ पर, अकललेस जों जाहिर कर रहे हैं वों अहीर सम्मान और पहचान दोनों के खिलाफ है,अधकचरे ज्ञान से उपजा उनका ये बयान है,हिन्दू विरोध करते -करते अब वों अपने कुल विरोधी भी हो गए हैं .

इतिहास का अपभ्रंश कर राणा सांगा को गद्दार कह हिन्दुओं को गद्दार की औलाद बताने वाले राम जी सुमन का बचाव कर रहे, जाति वैमनस्यता फैला राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिशें हो रही,राणा सांगा  सिर्फ राजपूत नही थे वों भारत माता के सपूत थे पर जातिवादी राजनीति उन्हें सिर्फ राजपूत बताने पर तुली है,सुमन के बहाने दलित वोटों की जुगाड़ में लगी है ,योगी की जाति नही होती पर उन्हें राजपूत बताने का पूरा प्रयास है,राजपूत बना दलित का सियासी दंगल तैयार करने की चाहत है ,मनु स्मृति की आज सबसे ज्यादा जरूरत उन्ही को है जों इसका विरोध करते हैं, आराध्यों पर भी प्रश्न,धर्म स्थलों के इतिहास पर विवाद,धर्म की आलोचना आत्म कुंठित, सत्ता लोलुपों की पहली पहचान है, क्या इतिहास में देश के सारे राजनेताओं की सिर्फ आदर्श और सकरात्मक छवि लिखी गई है?गाँधी नेहरु से लेकर आज तक के नेताओं के व्यक्तित्व यदि इतिहास के पन्नो से ही उद्धृत करने है तों देखते हैं कौन सा व्यक्तित्व भंजित नही होता,एक कौम आज भी बाहरी आक्रांताओं के साथ गर्व से खड़ा होता है,और हम अपने ही पूर्वजों धर्म योद्धाओं भारत के वीर सपूतों को गद्दार कहते है,देश का बटवारा भारत माँ के साथ सबसे बड़ी गद्दारी थी, ना कोई इसकी जिम्मेदारी लेता,ना अभी तक कोई इसके लिए गद्दार कहलाता है,बल्कि बटवारे को स्वतंत्रता बताया जाता है,इतिहास तों अखिलेश का भी है और मुलायम परिवार का भी,सैफई से निकले नौकरी के लिए फिर जनसेवा ( राजनीति ) में रम गए कब कैसे करोड़ो के मालिक बन गए, कितनी पैतृक संपति थी और आज कितनी है ? 

सत्ता के लिए किस -किस से गठबंधन नही किया किसे समर्थन दिया,किससे समर्थन वापसी की चिठ्ठिया नही लिखी, परस्पर विरोध में चुनाव लड़ जनमत से गद्दारी कर सरकारें बनाई,अखिलेश की शिक्षा का स्तर उनका बयान बताता है, राग PDA का पर मुलायम परिवार कि दोनों बहुएं राजपूत बेटियां PDA  प्रेम दिखावा है, मायावती पर सत्ता के लिए  प्राण घातक हमला करनेवाले किस मुंह से दलित सम्मान की बातें कर रहे?मुसलमानों में जाति नही होती तों फिर कौन उन्हें जाति प्रमाण पत्र बाँट रहा?गैर सरियाई काम कर रहा,होली के रंगों में नमाज नही हो सकती बहुत सुना पर जुमे की अलविदा नमाज के लिए काली पट्टी लगाने का निर्देश काला क्या रंग नही है या फिर रंग से परहेज सिर्फ दिखावा है ? ऐसा कौन सा नेता है जिसकी जिंदगी में स्याह हिस्से नही है ?क्या सबका खोलें क्या सबका इतिहास बांचे?क्या बच पायेगा जन सेवक वाली छवि ? लोहिया जी का दर्शन था समाजवाद के लिए संपति और संतति की चाहत नही होनी चाहिए,लोहिया जी के दोनों ही नही थे वों पक्के समाजवादी थे ,आज के समाजवादी तों सिर्फ संपत्ति और संतति (संतान) की राजनीति कर रहे,ना ये लोहियावादी ना समाजवादी हैं सिर्फ परिवारवादी,राणा सांगा के खिलाफ बयान किसी मुस्लिम ने नही दिया ना किसी मुस्लिम ने इन्हें वोट देने के लिए राम जन्मभूमि मंदिर जाने के लिए मना किया, फिर भी ये दुराग्रह की राजनीति करते हैं, मुस्लिमों को भी बदनाम करते हैं, जिन नेताओं को अपने इतिहास का गुमान हो वों आंये किसी दिन सार्वजनिक मंचो पर उन्हें उनके सही इतिहास का एक -एक पन्ना दिखाएंगे उन्ही से पढ़ाएंगे,कुकर्मो की लम्बी फेहरिस्त हस्तियाँ मिटा देगी, गलतफहमी दूर करिए,सत्ता पाने की कुचेष्टा ने ज्येष्ठता भंग हो जायेगी कुर्सी क्या मतों के लाले पढ़ जायेंगे लाल किसी का होने से सत्ता मिल सकती है बुद्धि और संस्कार नही,फिर भी ना मानें आप तों यही कहेंगे -----------------------गौशालाओं से दुर्गध यदुवंशियों कों नहीं कसाईयों कों आती है

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी 

 






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