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मुखिया के मुखारी – बाबा वक्त मौन रहने का नही,बोलने का है 

मुखिया के मुखारी – बाबा वक्त मौन रहने का नही,बोलने का है 

31 मार्च 2025: अधूरी कहानी पर खामोश होंठों का पहरा है, चोट रूह की है इसलिए दर्द ज़रा गहरा है -- बाबा की बोली बूटी बनकर आज निकली मौन बाबा सुख शांति का पर्याय बता रहे ,बोल दूंगा तों जाँच एजेंसियां मेरे भी घर तक आ जायेंगी,मन तों नही होता की आपकों कुछ बोला जाय पर आपके बोल ऐसे हैं की बिन बोले रहा भी ना जाए, बाबा आपकी इस बूटी ने आपका ही नही प्रदेश का स्वास्थ्य ख़राब किया ,स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी आपकी ही थी,आप तब भी नही बोले जब आपकों बोलना था, आपकी इस मौनी बूटी ने छत्तीसगढ़ को झंझावातों में फसा दिया, कोयले की कालिख, रेत से तेल निकालने की कोशिश,चावल पकने के पहले ही चुरा लिया गया  ,PSC ने नौजवानों का भविष्य गिरवी रख दिया,रही सही कसर DMF और महादेव सट्टे ने प्रदेश के भविष्य पर बट्टा लगा दिया ,शराब भ्रष्टाचार का पर्याय बना तब भी आप मौन थे ,बोल आपके ही थे जों घोषणा पत्र बना था ,धान का भाव,किसान का मान बढ़ाकर सरकार बनाई ,सरकार बनते ही गंगाजलीय शराबबंदी की प्रतिज्ञा भूले ,बिजली बिल हाफ तों हुआ पर सरकार साफ हो गई,ये कैसी आपकी सिंहासन के प्रति प्रतिज्ञा थी ,की आपकी सरकार छत्तीसगढ़ के भविष्य का चीरहरण करती रही आप पितामह बन मौन रहे ,जलजीवन बता वहां भी घोटाले जीवन से जल को दूर किया अब तों CGMSC का दवा घोटाला भी खुल गया ।

किसानों को जब बीज और कीटनाशक होटल व्यवसायी बेच रहे थे,बीज विकास निगम सिर्फ अपना विकास कर किसानों का नाश कर रही थी, तब भी आप मौन थे ,ढाई अक्षर प्रेम के आपकों भी बोला गया था ये बात अलग है की वों ढाई बरस बाद भी पूरा नही हुआ था ,तब भी आप मौन थे ,काश तब बोल लेते ना रहते मौन मर्यादा प्रतिज्ञा तोड़ देते ,महतारी छत्तीसगढ़ का कर्ज उतार देते ,मतदाताओं का मान रख लेते लोकतंत्र का सम्मान बढ़ा देते ,तब भी आप मौन ही थे ,अन्याय करना ही अन्याय नही होता,सहना उससे बड़ा अन्याय होता है,आपने अन्याय छत्तीसगढ़ के साथ होने दिया मौन रहकर आपने अन्याय सहा या नही आप जानें ,पर इस अन्याय की तोहमत आप पर भी है ,आप भी उसी घपले घोटालों वाली सरकार के मंत्री फिर उपमुख्यमंत्री थे,बाबा बूटी मौन वाली सरकार को प्रदेश से ही नही उखाड़ी माँ अम्बिका के पुर में आपकी भी राजनीतिक शक्ति उखड़ गई, करे कोई भरे उससे ज्यादा कोई ,दैवीय निर्णयों को समझिए ,अब तों मौन तोड़िए,सिंह कब बिना गरजे राज किया है, आप तों महाराज है,आपको तों राजनीति का हर राज पता है,राज की नीति से नीतियों में राज रखा जाने लगा तब भी आप मौन थे,जाँच से क्या डर जब हार घर तक चली आई,कारवां लुट गया आप आज तक गुबार देख रहे ।

आपकी बोली से बनी घोषणा पत्र ने अपार बहुमत की सरकार बनाई ,क्या छत्तीसगढ़ियों द्वारा दिए इस ऐतिहासिक जीत का आपने सम्मान बचाया था ?ऐसी कौन सी बेबसी थी जों आपने मौन व्रत धारण किया था, मंत्री परिषद की सामूहिक उत्तरादायित्व का अपराध बोध है,या फिर ATM सरकार की कुकर्मो से अंश मात्र का आपका भी वास्ता रहा है,छवि तब जितनी बिगड़ी थी उससे ज्यादा अब बिगड़ जायेगी,अब मौन रहे तों फिर चाहकर भी कभी बोल नही पाएंगे,फिर बाबा नही मौनी बाबा कहलाएंगे ,आप मौनी बाबा बन जाए उससे पहले आपसे सवाल है ये जों अधिकारी, व्यापारी, मंत्री, विधायक जेल में और जेल की देहरी में खड़े हैं ,क्या वों सब मासूम हैं ? क्या प्रदेश में कोई घपला घोटाला हुआ ही नही ?क्या ये सब राजनीतिक प्रताड़ना है ? यदि ऐसा है तों फिर क्यों आप मौन हैं  ? इन तथाकथित मासूमों का वास्ता है आपको जन -जन तक उनकी मासूमियत पहुंचा,जननेता आप बन जाइए,अखिल भारतीय प्रशासनिक ,पुलिस सेवाओं के राज्य सेवाओं के अधिकारियों का भविष्य दांव पर है ,साख आपकी और आपके सरकार, पार्टी की भी दांव पर है,फिर ये मौन का दांव क्यों ? आदिवासी पूर्व मंत्री विधायक जेल में है ,क्या उनकी व्यथा आप तक नही पहुँच रही, जाँच करने ,करवाने वाले अपने मताहतों के बयानों और साक्ष्यों के कारण खुद जाँच के दायरे में है ,बयान इनके भी आ जाएँ फिर जांच की आंच किन -किन को झुलसाएगी,सफ़ेद झक्क खादी में कितने अमिट दाग लगाएगी, लगता है आपकों इन मासूमों ने कुछ नही किया तों नवरात्रि में माँ अम्बिका को सुमर शक्ति का आह्वान करिए, छत्तीसगढ़ के हर गढ़ में रण बढ़ -चढ़कर कीजिये ,दवा वाले भी दारू वालों के साथ जेल जा रहे ,दवा दारू कर इन्हें इस खेल से बचाइए ,बाबा के रहते परिवार में संकट वात्सल्य का आभाव साबित कर देगा, बाबा बूटी बोली ही है वर्ना मौन में तों सहमति ही सहमति है,सच कब डरा है जों मौन हो जाए, जों त्रिलोक को शरण दे ऐसा सिंहदेव ऐसे कैसे मौन हो जाए,या फिर इस मौन की वही कहानी है जों हम जुबान से कह नही रहे ,वही सहभागिता वाली निशानी है, लब्जों का वजन,घोटालों से तों कम होगा -------------------------बाबा वक्त मौन रहने का नही,बोलने का है 

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी 






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