कलियुग में इस दिन इस समय होगा, भगवान विष्णु का कल्कि अवतार

कलियुग में इस दिन इस समय होगा, भगवान विष्णु का कल्कि अवतार

कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार, कल्कि, का आगमन होगा। यह विषय शास्त्रों और भविष्यवाणियों में गहराई से वर्णित है। तिरुपति के प्रसिद्ध संत श्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल में विष्णु प्रिया परिवार में होगा।  परंतु, यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि भगवान कल्कि का अवतार कब होगा? आइए, इस पर गहराई से विचार करें।

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कलयुग के चरण और वर्तमान स्थिति

हिंदू धर्म के अनुसार, समय को चार युगों में बांटा गया है: सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। इन युगों में से कलयुग सबसे अंतिम और सबसे लंबा युग है। कलयुग के चार चरण होते हैं, और हर चरण में 72 बिन सदियां होती हैं। वर्तमान में, कलयुग के पहले चरण का 28वां बिन सदी चल रहा है

बिन सदी का अर्थ

एक बिन सदी को 100 मानव वर्षों के बराबर माना जाता है। इसका अर्थ है कि कलयुग के पहले चरण में अभी 44 बिन सदियां बाकी हैं। इस चरण के समाप्त होने के बाद, अन्य तीन चरण शेष रहेंगे। यह इंगित करता है कि कलयुग का अंत और भगवान कल्कि का आगमन अभी लाखों वर्षों बाद होगा।

भगवान कल्कि का जन्म और उद्देश्य

शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान कल्कि का अवतार अधर्म और पापों के नाश के लिए होगा। वह धर्म की पुनः स्थापना करेंगे और मानव जाति को मोक्ष का मार्ग दिखाएंगे।

संभल: कल्कि का जन्मस्थान

तिरुपति के श्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान में विष्णु प्रिया परिवार में होगा। यह स्थान शास्त्रों में पवित्र और विशेष रूप से वर्णित है।

कलयुग का अंत: लाखों वर्षों की प्रतीक्षा

कलयुग के पहले चरण के 72 बिन सदियों में से वर्तमान में केवल 28 बिन सदियां बीती हैं। इसका अर्थ है कि पहले चरण के समाप्त होने में ही 44 बिन सदियां बाकी हैं। इस प्रकार, अन्य तीन चरणों को मिलाकर कलयुग के अंत तक लाखों वर्ष शेष हैं। भगवान कल्कि का आगमन मानवता के लिए एक नई सुबह का प्रतीक होगा। यह विश्वास हमें यह समझने में मदद करता है कि हमें अभी अपने कर्मों और धर्म पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कल्कि अवतार के लिए प्रतीक्षा करने के बजाय, हमें अपने भीतर की अच्छाई को जागृत करना होगा। कलयुग का अंत और भगवान कल्कि का अवतार अभी लाखों वर्षों की दूरी पर हैं। यह समय हमें अपने जीवन को धर्म और नैतिकता के आधार पर जीने का अवसर प्रदान करता है। भगवान कल्कि का अवतरण पापों के नाश और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए होगा, लेकिन जब तक वह समय नहीं आता, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

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