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मुखिया के मुखारी – नियती बदल ली आपनें अपनी,नीयत बदल के 

मुखिया के मुखारी – नियती बदल ली आपनें अपनी,नीयत बदल के 

1975 में भारतीय चलचित्र धर्मात्मा आई थी,प्रेमनाथ की केन्द्रीय भूमिका वाले चरित्र के इर्द गिर्द इसकी कहानी बुनी गई थी, जिसमें प्रेमनाथ सिर्फ धर्मात्मा होने का दिखावा करते थे ,असल चरित्र उनका असंवैधानिक कृत्यों से भरा पड़ा था ,काल्पनिक चलचित्र धीरे -धीरे हमारी वास्तविकता बनते जा रहा है,नौकरशाह और नेताओं के गठजोड़ से सरकारों ने ख्याति और कुख्याति दोनों पाई । पूर्व नौकरशाह अरविंद केजरीवाल राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे और आज अपनी चमक खो बैठे,पूरी धर्मात्मा वाली व्यक्तित्व को गढ़ा वैकलिप ...राजनीति के पुरोधा बनकर उभरे पर असल में शराब घोटाले में संलिप्त हो जेल की यात्रा कर आये, परत दर परत घोटाले ही घोटाले उनकी सरकार के सामने आ रहे "आप" जन आकांक्षाओं  के प्रगटीकरण से दो राज्यों की सत्ता में और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा अल्पसमय में ही प्राप्त की, अप्रतिम सफलता के पर्याय थे केजरीवाल IIT शिक्षित  IRS अधिकारी आत्मविश्वासी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के व्यक्तित्व का अवसान ऐसा होगा किसी ने नही सोचा था, जब सत्ता की आपार शक्तियाँ बेलगाम हो स्वेच्छाचारी हो जाती है तों उसका मूल कारण सिर्फ और सिर्फ नीयत का बदलाव होता है ,कट्टर ईमानदार से ,कट्टर बईमान की छवि किसी ने गढ़ी नही ,वों उनके खुदके कुकर्मों की परिणिति है, आत्मविश्वास घमंड में बदला ,सत्ता स्वेच्छाचारिता को अंगीकार कर रुखसत ही नही हुई शख्सियत ही बर्बाद हो गई ,पर राजनीतिक भ्रष्टाचार को बुराई ही नही मानते, लालू का आज भी राजनीति में प्रासंगिक बने रहना इसका उदाहरण है ,और ऐसे ही कई उदाहरण उन्हें प्रेरित करते हैं  लोकतंत्र को राजतंत्र में बदलने के लिए जननेता की जगह राजनेता कहलाने के लिए।

शिक्षा यदि नैतिकता विहीन हो तों बहुमुखी प्रतिभाएं भी पथभ्रष्ट होती हैं, लादेन, बगदादी ,अफजल गुरु शिक्षित हो भी आतंकी बने,कई राजनेता, अधिकारी भ्रष्टाचार के पर्याय बने ,छत्तीसगढ़ में भी अपार बहुमत की जन आकांक्षाओं के उभार के रथ पर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अपने पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघी, विपक्ष में बैठने पर मजबूर हो गई । सरकार ने तों सत्ता गवाई पर कई व्यक्तित्व इतने कलंकित और खंडित हुए की अब व्यक्तित्व कहलाने लायक नही बचे, स्वाभिमानी व्यक्ति आरोपों से ही मर्माहंत हो जाता है ,बेशर्मों की बेहयाई तब भी कायम रहती है,आरोपों के साथ जीवन दुरूह उनके लिए होता है जिनकी नियत साफ़ होती है,वरना भ्रष्टाचारियो की चमड़ी सूअर की चमड़ी से भी ज्यादा मोटी होती है,छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के आरोपों से बड़ी -बड़ी शख्सियतें घिरी हैं,माथे पे सिकन कितनों के पड़ी है? पुलिस सरकार का इक़बाल होती है ,पर जब इक़बाल ही सरकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हो तों उसके कारण क्या हो सकते हैं? भारतीय और राज्य सेवा संवर्ग के उच्चाधिकारी और भ्रष्टाचार के बन गए हैं आरोपी' 5 IPS अफसरों के घर छापे पड़े कई लाइन में हैं खड़े ,इन चर्चित चेहरों की ख्याति पर कु का उपसर्ग उनके कर्मो की वजह से है ,या संगति की वजह से या फिर कर्म और संगति में उनके कु लगाने की प्रवृति ने उन्हें ये दुर्दिन दिखाया है ? बहुमुखी प्रतिभा के उच्चाधिकारी  कैसे अपनी ही प्रतिभा को मसल बैठे, रील बना चर्चित हुए ,मनोरोग विशेषज्ञ से IPS बने भावुकता से भरे एक हादसे की वजह से जों पुलिस सेवा में आने का कारण बताते थे, वों खुद कैसे हादसे का शिकार हो गए, जों सड़को पे ,आफिस में जाँच में ,कैमरा लेकर चलते थे ,रील बनाते थे ,वों रियल में कैसे कैमरों से दूर हो गए ,आरोपियों के रील से समाज में अपराध को लेकर यदि कोई सकारात्मक संदेश जाता है ,तों फिर ऐसा रील तों इन साहब का भी बनना चाहिए।

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कोमल पत्ते (पल्लव ) पतझड़ से पहले झड़ गए ,कल्ला कलंकित कैसे हो गया,पूत के पांव पालने में ही दिख रहे थे रक्षासूत्र में अपनी रक्षा ढूंढ रहे थे,आका धर्म बहन को नही बचा पाए तों आप कैसे बच जाते : खामख्वाह आप बड़े खां बन रहे थे,महादेव का अभिषेक महादेव सट्टे का कलंक बन गया कैसे ? सेवा राज्य पुलिस की रुतबा कई कप्तानों वाला उड़ान उची डोंगरगांव की कहां आकर ठहरी,प्रतिभा तों शेख साहब में भी बहुत है एक ही घर में प्रशासनिक और पुलिस का जलवा मशहूर होने की सारी जायज वजहें थी ,फिर इन कृत्यों में क्यों मशगुल हो गए, मकबूल थे आप सट्टे में क्यों मशरूफ हो गए,आनंद से जिंदगी चल रही थी, सदानंद की चाहत में घोटाले में छबड़ा (सन) गये ,प्रकाश देने वाली समदर्शिता हो आप ,अंश थे दीपक के फिर रौशनी के साथ अँधेरा कैसे? कबरा प्रतिबिंब बना या बना दिया गया दीप पे अंश कालिख का नमार्थ को बिगाड़ रहा, गढ़ना था पूर्व मुखिया को भविष्य वों अपना तों ना गढ़ पाए, पर आप सबका बिगाड़ गए, जिनमें प्रतिभा ,सामर्थ्य था महानिदेशक बनने का, लम्बी रेस के ऐसे सारे घोड़े क्यों लंगड़े हो गए ?  जाँच करने वाले खुद क्यों जाँच के शिकार हो गए ? प्रतिभावानों सीख लों इन प्रतिभा सम्पन्नो से ,ना ये गलती कोई दोहराए, ना ऐसी प्रवृति किसी की उपज पाए ,-नियती ने सबकुछ दिया आपने अपनी नीयत से उस पर दाग लगा लिया, ये दाग अच्छे नही हैं, बोल अच्छे नहीं लगेंगे आपकों पर ये सीख आपके लिए अच्छी है,प्रतिभाओं का असमय अवसान पीड़ा देता है इसलिए ----------------------नियती बदल ली आपनें अपनी,नीयत बदल के 

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी 

 






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