16 अप्रैल 2025 : भारतीय लोकतंत्र के चार आधार स्तंभ माने जाते है,विधायिका ,कार्यपालिका ,न्यायपालिका और मीडिया प्रथम दो राजनीतिक व्यवस्थाओं जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों समाहित है ,जो सरकार बनाती है उसका हिस्सा हैं,सरकारें राजनीतिक दलों की होती हैं उन्हें राजनीति और जनमत जीतना या प्रबंधन करना होता है । शेष दो स्वायत्त और स्वतंत्र संस्थाएं होती हैं,राजनीति जनधारणाओं के अनुरूप होती है, पर जिनका दायित्व मीमांसा ,नियंत्रण और सच के साथ चलने का है क्या वों अपना दायित्व निभा रही हैं ? सर्वप्रथम मीडिया क्या ये जनहित का ध्यान रख रही सचानुगामी हैं,राजनीतिक दलें चंदा लेती हैं और इन मीडिया हाउसों को चुनावी चंदा देती हैं ,विज्ञापन ,सुविधाओं, पदवियों से इन्हें उपकृत कर गठजोड़ बनाती हैं,जिसकी वजह से तर्क और कुतर्क का भार एक हो जाता है ,निष्कर्ष रहित बहसें परोसकर सच छुपाया जाता है,अरविंद केजरीवाल इसी गठजोड़ की पैदाईश थे,अराजकतावादी सर्वदुर्गुण संपन्न व्यक्ति का राजनीतिक व्यक्तित्व कैसा गढ़ा गया ,वैकल्पिक राजनीति के नाम पर काम सिर्फ भ्रष्टाचार का सालों घपले -घोटाले होते रहे पर दिल्ली की राष्ट्रीय प्रभाव रखने वाली मीडिया तों काले कारनामों की जानकारी का आभाव था, केजरीवाल के पराभाव के साथ ही मीडिया आभाव ग्रस्त हो गई चैनलों में भगदड़ मच गई कल तक मीडिया शीर्षस्थ रहे चैनलों का आजतक प्रभावित होने लगा यही गठजोड़ कांग्रेस के साथ भी था।
राडिया टेप, मनमोहन सरकार के वक्त हुआ स्टिंग ऑपरेशन दबा दिया गया, अल्पमत की राव सरकार के झामुमो रिश्वत कांड कभी अपने अंजाम तक नही पहुंचा ,उर्दू अखबारों के मालिक मनमोहन सरकार से उपकृत अजीज बरनी ने 26/11 मुम्बई आतंकी हमले को आरएसएस प्रायोजित बता पुस्तक लिखी ,भगवा आतंक की कहानी लिखी आज उनका कथन है की बिना तथ्यों को परखे उन्होंने लिख दिया था ,तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद भगवा आतंक की कड़ी टूटनी है, हथकड़ियो को नए हाथ मिलने हैं ,वक्फ बिल पर आंदोलन की अगुवाई में लगी जमीयत ए उलेमा वों संगठन है जिसने देश में हुए कई आतंकी घटनाओं में शामिल आतंकियों को क़ानूनी और वित्तीय मदद दी है ,यही मंशा उसकी कायम रहनी है , क्या मीडिया ने कभी उसकी शांतिप्रियता पर सवाल खड़े किए ? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोई संवैधानिक संस्था नही है मात्र NGO है, किस हैसियत से मुस्लिमों का रहनुमा होने का दावा करती है ? क्या वक्फ के प्रावधानों पर कानूनविदों के साथ जन जागरण के लिए मीडिया ने कोई बहस आयोजित किया, वक्फ प्रावधान मुस्लिमों के हित में है या अहित में क्या इस निष्कर्ष तक पहुंचने का सामर्थ्य मीडिया में नही है ? वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जों के दावों की सच्चाई क्या मीडिया उजागर नही कर सकती ?
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दशकों कांग्रेसी सरकारों से उपकृत मीडिया जनकांक्षाओं और जनहितों के विरुद्ध कार्य कर अपनी विश्वसनीयता गवां रही हैं ,सोशल मीडिया और पॉडकास्ट के दौर में विज्ञापनों के लिए तरसेगी ,अपनी शटर खुद बंद करेगी ,समदर्शिता का आभाव ले डूबेगा, मुस्लिम कट्टरता जब दिखे तो आतंक का कोई धर्म नही होता पर भगवा आतंक की फर्जी कहानी गढ़ती है ,गीता मट्टू बलात्कार के बाद आरी से काट दी गई पर चर्चा सिर्फ बिलकिस बानों की होती है, विश्व मुस्लिम आतंक से ग्रसित है ,अधिकांश आतंकी घटनाओं के पीछे मुस्लिम आतंकियों का ही हाथ है,मुस्लिम देशों में गृह युद्ध और आतंक ने ना कभी मानवाधिकार को कुछ समझा ना लोकतंत्र को पनपने दिया, हिंदू आजादी के वक्त भी शरणार्थी बने और आज भी देश के कई हिस्सों से पलायन कर शरणार्थी बनने मजबूर हैं ,कारण हमेशा मुस्लिम धार्मिक कट्टरता,न्यायपालिका ने राष्ट्रपति को समयसीमा में बांध अपना पुरुषार्थ दिखाया पर बंगाल के मुख्यमंत्री और मंत्रियो के गैर संवैधानिक कृत्यों पर क्यों मौन है? धारा 356 के दुरुपयोगों से निर्वाचित राज्य सरकारों को अपदस्थ कैसे किया जाता था ? ,भ्रष्टाचार के आरोपों में पांच बार सजा पा चुके लालू यादव जेल में क्यों नही हैं ? अभिव्यक्ति के आजादी के नाम पर हिन्दू देवी देवताओं के नग्न चित्र कैसे बन जाया करते थे ? संसद से पारित कानून को अपने राज्य में लागु ना करने का दावा गैर संवैधानिक कर ममता ने अराजकता और हिंसा के लिए बंगाल को क्या नही उकसाया ? संविधान से उपर सरिया बताने वाले मंत्री, आँख निकाल लेने ,हाथ पैर तोड़ने की धमकी देते सांसदों पर क्या कोई कार्यवाही होगी ? प्रतियोगी परीक्षाएं देशभर में होंगी पर कॉलेजियम न्यायाधीशों को मनोनीत करेगा क्यों ? पैसे बोरों में न्यायमूर्ति के घर मिले तो सिर्फ स्थानांतरण वाला न्याय है या दिखावा ? स्तंभ सच से खिसक कैसे मजबूत रहेंगे ,मापदंड दोहरे रहेंगे तों सवाल होंगे -------------------------गाजा के रुदाली,बंगाल हिंसा पर क्यों मौन हैं?
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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