गर्मियों का दिन मूंग की खेती का सही समय होता है. किसान इस समय गर्मी यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर सकते हैं. मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई से यह फायदा होता है कि यह खेत में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे दूसरी फसलों से भी बढ़िया उत्पादन मिलता है. मूंग की फसल के लिए ज्यादा बारिश नुकसानदायक होती है, ऐसे क्षेत्र जहां पर 60-75 सेमी तक वार्षिक बारिश होती है, मूंग की खेती वहां के लिए उपयुक्त होती है. मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए सह कृषि अधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि मूंग की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मध्यम दोमट, मटियार भूमि समुचित जल निकास वाली, जिसका पीएच मान 7-8 हो इसके लिए उत्तम होती है.
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ऐसे करें खेत की तैयारी
खेत की पहली जुताई हैरो या मिट्टी पलटने वाले रिज़र हल से करनी चाहिए. इसके बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर से करके खेत को अच्छी तरह भुरभरा बना लेना चाहिए. आखिरी जुताई में लेवलर लगाना अति जरूरी है, इससे खेत में नमी लम्बे समय तक संरक्षित रहती है. दीमक से ग्रसित भूमि को फसल की सुरक्षा के लिए क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अंतिम जुताई से पहले खेत में बिखेर दें और उसके बाद जुताई कर उसे मिट्टी में मिला दें.
कम्पोस्ट खाद देना है जरूरी
कतार से कतार के बीच दूरी 45 से.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 10 सेमी उचित है. खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से पहले मिट्टी की जांच कर लेनी चहिए. फिर भी कम से कम 5 से 10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद देनी चाहिए. मूंग के लिए 20 किलो ग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलो ग्राम फास्फोरस 20 किलो ग्राम पोटाश 25 किलो ग्राम गंधक एवं 5 किलो ग्राम जिंक प्रति हैक्टेयर की आवश्कता होती है. बीज की मात्रा और खरीफ मौसम में मूंग का बीज 12-15 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर लगता है. जायद में बीज की मात्रा 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ लेना चाहिए. 3 ग्राम थायरम फफूंदनाशक दवा से प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करने से बीज और भूमि जन्य बीमारियों से फसल की सुरक्षित रहती है. 600 ग्राम राइज़ोबियम कल्चर को एक लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ के साथ गर्म कर ठंडा होने पर बीज को उपचारित कर छाया में सुखा लेना चाहिए और बुवाई कर देनी चाहिए.
फसल कटाई का समय
मूंग की फलियों जब काली पड़ने लगे तथा सूख जाए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए. अधिक सूखने पर फलियों चिटकने का डर रहता है. फलियों से बीज को थ्रेसर द्वारा या डंडे द्वारा अलग कर लिए जाता है. वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर मूंग की 7 -8 कुंतल प्रति हेक्टयर वर्षा आधारित फसल से उपज प्राप्त हो जाती है. सिंचित फसल की औसत उपज 10-12 क्विटंल / हैक्टेयर तक हो सकती है.
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