20 अप्रैल 2025: पुरानी सरकार की रुखसती नए सरकार का आगाज शख्सियतों के अंतरों का परिणाम थी, भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई पुरानी सरकार सुशासन के दावों के साथ सत्तारूढ़ हुई छ.ग. की भाजपा सरकार ,सत्ता परिवर्तन जन अपेक्षाओं की उपेक्षा जनहित से बड़ा स्वहित और मेरी मर्जी का परिणाम ,जननेता राजनेता बन लोकतंत्र को राजतंत्र की भाति हांक रहे थे, मै और मेरा की सोच में जनता कही नही थी,छत्तीसगढ़िया अस्मिता की बात और राज्यसभा के सांसद बाहरी राज्यों के ऐसे प्रतिनिधि जिनका राज्य से कोई वास्ता नही था, राजनीतिक पार्टी चलाने की मज़बूरी सरकार कों भारी पड़ी, उगाही की आदत ऐसी लगी की उसकी गवाही आज तक मिल रही है, जन अपेक्षाओं से भरी आपार बहुमत की सरकार सत्ता के उस पार पहुँच विपक्ष में बैठने मजबूर हो गई, सरकारों के आने जाने की सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार बनीं, इरादों में कमी हो तो वादे कमतर पड़ ही जाते हैं । इतिहास से सीख ना लें तो भीख नियति बन जाती है,बहुमत मतदान से मिलता है और दान सुपात्र को देने का प्रावधान है,संवैधानिक व्यवस्था में सरकारों को पांच सालों में परीक्षा देनी होती है, परीक्षाफल सरकारों के कार्यों का मूल्यांकन होता है, छत्तीसगढ़ियों ने बहुत कुछ बदलते देखा भाग्य विधाताओं को ही अपना भाग्य मिटाते देखा, चहुँओर व्याप्त भ्रष्टाचार ने जनमत को बदला सरकार बदल गई,पर क्या व्यवस्थाएं बदली ?
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सुशासन क्या पुरानी गलतियों को दोहरा कर स्थापित किया जाता है ? बासी छत्तीसगढ़ियों का पसंदीदा भोजन है, पर बासी नीतियों की राजनीति रसातल की ओर ले जाती है ,दावे यदि सुशासन के है तो जागरूकता और नीयत सही होगी ही ,मंत्री परिषद में मंत्रियो के स्थान रिक्त है, निगम मंडल अध्यक्षों के पदभार ग्रहण हो गए कौन सा पद कितना भारी है, उसके आधार पर प्रभारी खोजे गए ,ये प्रभारी सरकार के प्रति आभारी रहेंगे या छत्तीसगढ़ियों के प्रति ? इस पदभार ग्रहण समारोह में CGMSC में दीपक जला इसकी लौ में मुख्यमंत्री ने बताया की CGMSC छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर से बेहतरीन बना रहा,अप्रितम योगदान इस संस्थान का स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ,सुशासन के प्रीतम की ये बोली छत्तीसगढ़ियों के तम को बढ़ा रही ,बढ़ते भ्रष्टाचार के पांव गाँव -गाँव में असर दिखा रहे ,सरकार है की आज भी छाँव में बैठी है जिस संस्थान ने भ्रष्टाचार की रोज नई इबारतें लिखने की ठान रखी है,उसे मुखिया कैसे ठसक के साथ सुशासन का पर्याय बता रहे ? CGMSC का घोटाला पुरानी सरकार में चालू हुआ और आज भी उतरोत्तर प्रगति कर रहा है,इस भ्रष्टाचार पर सवाल नही हो रहे बल्कि उत्तर सुशासन के दिए जा रहे।शिक्षा और कर्मठता ही परिणाम दे देती तो मंत्री स्वास्थ्य क्यों छत्तीसगढ़ियों और सरकार का स्वास्थ्य बिगाड़ रहे हैं, गाँव ,गरीबी, संघर्ष, सहजता, सफलता के पत्ते सत्ता मिलते ही क्यों कट जाते हैं ? संघर्ष से मिली सत्ता जनमत ने दिलाई आज उसी जनमत की उपेक्षा क्यों हो रही ?
सप्ताहिक बाजारों से जनता की नब्ज पकड़ सत्ता की डोरी साधी गई, फिर सत्ता मिलते ही क्यों बाजारू हरकतें हो रही? ईमान डोल रहा प्राचीन इतिहास और नैतिकता सिर्फ पढ़ने के लिए ही नही गढ़ने के लिए भी होते हैं,रसायन परा स्नातक जिनकी इतिहास और नैतिक शिक्षा में रूचि वों अपने व्यवहार में नैतिकता का दोहराव नही कर पा रहे, ना रस है, ना आयन फिर काहे का रसायन, मंत्री जिस भ्रष्टाचार को रोक नही पाए उसे क्या अध्यक्ष मसक (मसल ) देंगे ? बेसुरी बांसुरी भ्रष्टाचार की सरकार को श्याम वर्णित कर बाहर का रस्ता दिखाएगी ,अध्यक्ष क्या मंत्री के सामने ईमानदारी की दीपक जला पाएंगे? अधिकारी कर्मचारी आशिक हैं मोक्षित के पैसों में ही मोक्ष ढूंढ रहे ,आकांक्षी मंत्री भी मोक्षित हो मोक्ष दिलाने अपनी छवि क्षरित कर रहे, साक्ष्यों को नजर अंदाज और भ्रष्टाचारियों का हर अंदाज पसंद कर रहे,सिसक रहा स्वास्थ्य ,सिसक रही छ.ग. की जनता पर शशांक को सरकार बचा रही इसमें नही कोई शंका, पुराने पापों की आड़ में नए पाप नही छुपाए जा सकते, शासन में हो पोल तो सुशासन के दावें नही किये जा सकते,सजग मुखिया को CGMSC का भ्रष्टाचार नही दिखा, दिखावे की जाँच बिना आंच के सच के इतर कहानी कही जा रही,क्या है ऐसा CGMSC घोटाले में की पर्दा डालने की हर कोशिश हो रही ? सरकार जिस संस्थान के भ्रष्टाचार की जाँच करवा रही हो उसी संस्थान की मुखिया तारीफ कैसे कर रहे ? सामूहिक भ्रष्टाचार राजनीतिक संरक्षण के बिना संभव नही ,मंत्रालय से लेकर पर्यटन केंद्र और घरों तक जुड़े भ्रष्टाचार के तारो की जानकारी किसे नही है ? कागजी ईमानदारी ,पुलिस अधिकारियों के सम्पत्ति विवरण को देख समझ आ गई, ऐसी ही कागजी ईमानदारी की सरकारी तैयारी है ,जिसमें बिना सजा के न्याय का दिखावा ही दिखावा, इस दिखावे में हमे भी दिख रहा------------------------ सुशासन का दावा सिर्फ दिखावा ही दिखावा है
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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