25 अप्रैल 2025 : स्वार्थ प्रेरित राजनीति जिसमें सत्ता वरण ही सबकुछ हो उसके लिए शब्द गढ़े गए जो सुनने में तो अच्छे लगते है पर जिनका क्रियान्वयन शब्दार्थ के ठीक विपरीत हुआ, उस रीत के कई शब्दों में से दो शब्द है धर्मनिरपेक्षता और गोदी मीडिया धर्म के आधार पर देश बटा, धार्मिक आधार पर निर्वाचन क्षेत्र बने, गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई देते फिर भी भीषणतम नर संहार के साथ बटवारे का दर्द झेला ,उसी को स्वतंत्रता समझा स्वीकार कराया गया, धुर धार्मिक कारणों से देश बट गया ,पर धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया गया ,कांग्रेस 1885 में अंग्रेज अधिकारियों के द्वारा स्थापित की गई 1906 में मुस्लिम लीग बन गया, राजनीतिक चेतना मुस्लिमों में तब से है ,अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग कर मुस्लिमों के द्वारा मुस्लिम जन प्रतिनिधि चुने गए,1946 के चुनाव परिणाम ही देश विभाजन का सबसे बड़ा कारण था ,जिसकी कोई चर्चा नही होती ,स्वतंत्रता के बाद मुस्लिम प्रतिनिधियों की मांग पर सरदार पटेल का जवाब था की धर्म के आधार पर देश बट अब कोई सुविधा धर्म के आधार पर नही दी जायेगी,मै यह मानने के लिए तैयार ही नही हूँ की जिन मुस्लिमों ने पाकिस्तान बनवाने के लिए मतदान किया उनका दिल एक रात में बदल गया, वों पाकिस्तान नही गए, ना सरदार पटेल के इस वक्तव्य की कभी कोई चर्चा होती है, ना 1946 के चुनावों की ,इतिहास में साक्ष्य है पर लक्ष्य कुछ और मुस्लिमों की राजनीतिक चेतना शिक्षा का मुंह नही देखती, 22 % आबादी में 1947 में देश का 35 % जमीन ले लिया पाकिस्तान बना लिया, आबादी आधी यहीं रह गई पचास हजार एकड़ की 1947 की वक्फ भूमि आज साढ़े नौ लाख एकड़ हो गई वक्फ बाय यूजर्स का ऐसा यूज हुआ की जमीन मालिको का मालिकाना हक़ छिन गया, चैन छिन गया अदालतों के चक्कर संसद भवन ,ईडन,गार्डन कॉलेज ,मंदिर चर्च कुंभ की जमीनों पर वक्फ के नाजायज दावों का समर्थन विपक्षी पार्टियां कर रही ये कैसी धर्मनिरपेक्षता है ?
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मुस्लिम कभी कांग्रेस के साथ दिल से नही थे पहले मुस्लिम लीग फिर स्वतंत्रता के बाद जैसे ही मौका मिला सपा ,राजद, तृणमूल जैसे दलों की ओर रुख किया ,तृप्ति से पहले थाली उठ गई ,अतृप्त कांग्रेस मुस्लिम प्रेम को ही धर्म धर्मनिरपेक्षता कहने लगी अल्पसंख्यक, शिक्षा ,आर्थिक, सामाजिक पिछड़ापन फिर भी राजनीति की दशा दिशा मुस्लिम तय करते हैं, मुस्लिम प्रेम में राजनीतिक दल अपना सर्वस्व न्यौछावर करने बैठे हैं ,उनकी एकता का कारण उनकी धार्मिक प्रतिबद्धता है ,मनु स्मृति की तो मीमांसा रोज होती है ,ऐसा हिन्दुओं का कोई धर्म ग्रंथ नही जिस पट टिप्पणियाँ नही हुई, सर तन से जुदा के नारे लगाए ही नही बल्कि सर तन से जुदा किये गए, देश ने आतंकी घटनाएँ झेली, फिर भी गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई क्या हिन्दु हितों पर आघात से ही धर्मनिरपेक्षता पनपती है ? जजिया दिया, बलात धर्मांतरण हुआ, मंदिर तोड़े गए ,देश बट गया और आज भी हिंदू आतंक के शिकार हो रहे,उदंडता को सहना ही क्या धर्मनिरपेक्षता है ?
न्यूयार्क टाइम्स ने पहलगाम की घटना को उग्रवादी घटना कहा तो अमेरिकी सरकार ने उसे आतंकवादी घटना बता वही लिखने कहा ,कश्मीर में महिला एंकर से दुर्व्यवहार हुआ भाईचारे का नाकाब उतरा, न उतरी तो मीडिया की बेशर्मी जो हिंदू हितों की बात करे वों तुरंत गोदी मीडिया ,ये शब्द हिंदू अस्मिता को तार -तार करने के लिए ही इजाद किया गया है,छद्म धर्मनिरपेक्षता को बचाने संचार माध्यमों में एकतरफा प्रथा एजेंडा चलाने ,सिकुड़ती राजनीतिक शक्तियों को सहारा देने ,अवैध सम्पत्तियों सुविधाओं के संग्रहण के लिए, राष्ट्रवादी विचारों को गोदी मीडिया का नाम दिया गया ,दक्षिण पंथी राजनीतिक उभार और उनका सत्ता में आ जाना वामपंथियों को खटकता है ,सांसे अटकती हैं, अटकी सांसो से अस्पष्ट,सिद्धान्त हिन् पत्रकारिता के लिए गोदी मीडिया शब्द गढ़ा गया ,अतृप्त कांग्रेस बेताल बन कंधो पर बैठी अपना पूरा प्रश्रय दी ,बुद्धजीवी होने मापदंड है हिंदू विरोध, राष्ट्रवाद विरोध, हिंदूओं में कमी है तो हिंदू ही पीड़ित होते विश्व का ना कोई हिस्सा बचा है ,ना कोई धर्म जो इस्लामी आतंक से पीड़ित नही है, मुस्लिम देशों में व्याप्त आतंक के लिए कौन दोषी है ? पेट्रो डॉलर आतंक ही पेट्रोल है ,जिसकी खुरचन NGO के माध्यम से इन वामपंथियों तक पहुँचती है ,तथ्यहीन बातों, विरोधों, आंदोंलनों के पीछे लगी द्रव्य है ,इस द्रव्य की व्यापकता मीडिया शैक्षणिक, संस्थाओं से लेकर हर उन संस्थानों तक है जिनसे नैतिकता अपेक्षित है, धर्म सापेक्ष एकतरफा विचार वाले धर्मनिरपेक्षता की चादर ओड़ अन्याय की सारी सीमांए पार कर रहे,पहलगाम के जिहादी घटनाओं के वीडियो को झूठा बताने का कुत्सित प्रयास कर रहे, कलमा ,खतना ,धर्मांधता ने 27 हिन्दुओं की जान ली वे वहां भी धर्मनिरपेक्षता खोज रहे ,सत्य यही है --------------------------धर्मनिरपेक्षता,गोदी मीडिया है हिंदू अस्मिता को तार -तार करने का जरिया
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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