वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 01 मई यानी आज विनायक चतुर्थी है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृ्द्धि होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे। आइए, विनायक चतुर्थी के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आज 11 बजकर 23 मिनट तक है। इसके बाद वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शुरू होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रख सकते हैं।
सुकर्मा योग
विनायक चतुर्थी पर सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। सुकर्मा योग का संयोग सुबह 08 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। सुकर्मा योग रात भर है। वहीं, समापन 02 मई को होगा। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
रवि योग
वैशाख माह की चतुर्थी तिथि पर रवि योग का भी संयोग है। रवि योग सुबह 05 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी।
नक्षत्र एवं चरण
वैशाख माह की विनायक चतुर्थी तिथि पर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 02 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र का संयोग है। साथ ही बव एवं बालव करण के योग हैं। इन योग में गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक के सुखों में वृद्धि होगी।
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पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 08 बजकर 23 मिनट पर
चन्द्रास्त - देर रात 11 बजकर 18 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 17 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
दिशा शूल - दक्षिण
ताराबल
भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ
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