5 मई 2025: नानी, दादियाँ छत्तीसगढ़ी में पोते पोतियों को उलाहना देती थी सईंत्ता ला मत बोरो रे जुटहा, जुटही कहवा जाहू ,मतलब नीयत को स्वार्थ में मत डुबाव वर्ना नियतखोर कहला जाओगे, संसाधनों की कमी में परम्पराएं अच्छे से निभती है ,गर्मी के दिनों में बोरे संध्याकालीन आहार होता था जिसके लिए बच्चे लड़ भीड़ जाते थे, उपरोक्त उलाहना सुनते थे सुन सुनकर बच्चे बड़े हो गए पर्याय सत्ता के हो गए ।सत्ता सईंत्ता ला बोर दिस ,बोरे बासी के मान नई रखिस ,धुर छत्तीसगढ़ी सरकार का दावा करने वाली पुरवर्ती कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ी अस्मिता का कितना मान बढ़ाया, सहज बोरे बासी को वैभव का पर्याय बनाया, भात, पानी, चटनी ,गोंदली का ग्यारह करोड़ से उपर का बिल बनाया ,भोजन छत्तीसगढ़ियों का ,श्रमिकों का कीमत करोड़ो में कारण चावल बासमती का,पानी मिनरल ,दही सेपरेटा, साग बाहरी, बड़े तिल लाई का लाई बरी बिजौरी, पापड़ मसाला भाजी आचार विदेशी थे,बोरे बासी शाही अंदाज में परोसा गया, जिसे शाही लोगो ने खाया ,सत्ता की करीबी हो बोरे बासी धन्य ही नही हुई धन धान्य से परिपूर्ण हो गई ।छत्तीसगढ़ियों के बउटका से निकल ला उपेला का डिश बन गई, कका के सुघ्घर कारज में धुसका रोटी खाय के बारी नई अईस, नई तो करोड़ो के वारा न्यारा फेर हो जतिस।
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नीयत (सईंत्ता) कितनी और किस -किस के लिए डोलाएगी सरकार , सईंत्ताहीन सत्ता क्या -क्या दिन दिखलायेगी? भाजपा को लग रहा की उसकी सईंत्ता की परख नही हो रही, वो सरकार भी छत्तीसगढ़ की घपले घोटालों से लदी फंदी सरकार थी जिसने बोरे बासी के लिए भी अपनी सईंत्ता भ्र्ष्टाचार में बोर दी थी, रुखसत हुई सरकार और सत्तारूढ़ सरकार में सत्ता का नही सईंत्ता का फर्क ढूढ़ रहे छत्तीसगढ़िया, व्यापक से मिल दाऊ दलाल गिरोह ने दलाली खाई ,उसी व्यापक से गलबईहां ये सरकार भी कर रही है ,सईंत्ता डिग रही है ,घोटाला बोरे बासी का हो या प्रयागराज कुंभ ,राजिम कुंभ का हो हर जगह व्यापक ही व्यापक ये व्यापकता व्यवस्था नही दलाली का है,जब दलाली खाने की हो तो फिर निकृष्टता को भी मुंह छिपाने की जगह नही मिलती है,पुराने पापों की अंतहीन फेहरिस्तों के बीच हस्ती कुछ नई बस्ती भ्र्ष्टाचार की बसा रहे,पुरानी दारू का मजा नए दौर में ले रहे,नई कथा प्रारंभ --- जांच एजेंसियां मेहनत कर रही गिरोह के सदस्यों को पकड़ रही, दाऊ के हाथ को हथकडियां ढूंढ रही,अभियोजन भी सोते से जगाए है, सर्वोच्च न्यायालय में दलीलों की किल ठोक आया है,ऐसे में रायपुर सेंट्रल जेल में उस अधिकारी की पदस्थापना जिसकी कार्यप्रणाली पर संदेह ही संदेह है,जिसके स्थानान्तरण की वजह शिकायतें थी वों दाऊ दलाल गिरोह को अब उपकृत नही करेगा ऐसी कौन सी व्यवस्था शासन ने कर ली है?
जेल की चार दीवारियों से भ्र्ष्टाचार की कहानियां आसानी से बाहर नही निकलती ,सबूत दीवारों के अंदर साबुत नही बचते, चावल चुराकर, बेचकर भी लोग कर्ता धर्ता बने रहते, ACB ,EOW जेल अधिकारियों की जाँच कर दे तो पता चले,मलाई कि कितनी बटाई यहां है,तिग्गा की गोटियां फिट बैठ रहीं जेल में लोग तिग्गा ही खेल रहे, दाऊ दलाल गिरोह के सदस्यों को जेल भेजना है तो जेल को जेल ही रहने दो,आलीशान होटल ना बनाओ। राजस्व DMF का घोटाला क्या बिना जिलाधीशो के संलिप्तता के ऐसा मूर्त रूप लेता, वो मूर्ति बने बैठे थे ? हिस्सेदारी ले रहे थे, कार्यवाही रोके मौन साधे बैठे थे,जरी वाले पटवारी निपटाए जायेंगे ,जड़ वाले कलेक्टर साहब जड़ और गहरी जमायेंगे, सईंत्ता नेताओं की थाह ली है,आह भ्र्ष्टाचार की संग भरने की कसमें खा ली हैं, अभयदान आबकारी वाले छुट भईयों को है तो ये तो बड़े बाबु हैं दाग वर्दी पे पड़ी तो क्या किसी को सर्दी हुई? सबकी वर्दी वैसी सजती ,रौब पुलिसिया पद के साथ आज भी कायम है, जंगल वाले आरामिल से तेंदुपत्ता तक आ गए छा गए ,घोटालों की बहार ही बहार है ,सरकारी बहरापन अरण्य विचरण को बेताब है, विभाग दर विभाग नदियां के पार की कहानी को हम हैं आपके कौन की तर्ज पर रूपातंरित चित्रांकित कर दिखाने की कला में महारथी लगे हैं पात्रों का चयन हो रहा, पात्र उभर रहे पर निदेशक इस बार भी महिला रहेगी तय है ,महतारी वंदन का सरकारी प्रयास जारी है,पुरानी कहानी के नये चित्रण भष्टतम परदे पे पद्मनी का अवतरण उसकी बानगी है,सईंत्ता डोलते डोलते बोरे बासी तक आ गई, सत्ता अफसर उलाहना सुन भी बदल नही रहे, फेर डोकरी दाई ,ममा दाई काहत हे -------------------------------सईंत्ता ला झन डोलाव रे जुटहा सरकार कहवाहू
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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