इस तरह से करें धान की खेती,हो जायेंगे मालामाल

इस तरह से करें धान की खेती,हो जायेंगे मालामाल

इस लेख में आपको बताया है कि धान की नर्सरी कैसे तैयार करें, जिससे उत्पादन अच्छा होगा, आमदनी भी ज्यादा होगी-

धान की नर्सरी

गेहूं की कटाई हो चुकी है, अब किसान धान की खेती में जुट जाएंगे, इसके लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा ताकि उत्पादन ज्यादा हो, आमदनी ज्यादा हो, फसल अच्छी हो। जिसमें धान की नर्सरी तैयार करने से पहले कुछ काम पूरे करने होंगे, खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाना होगा, बीजों को उपचारित करना होगा, ताकि नर्सरी अच्छे से तैयार हो। जब नर्सरी अच्छे से तैयार होगी, उसमें सफलता मिलेगी, तो उत्पादन भी ज्यादा होगा, तो चलिए आपको बताते हैं कि किन बातों पर काम करना है।

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बीजों का चयन

धान की खेती अच्छे से हो, इसके लिए किसानों को बीजों पर ध्यान देना चाहिए, सबसे पहले उन्हें अच्छे बीजों का चुनाव करना चाहिए, ऐसी किस्म जो शुद्ध और स्वस्थ हो, किसानों को प्रमाणित बीजों का चुनाव करना चाहिए। साथ ही क्षेत्र के लिए सुझाई गई धान की किस्मो का चुनाव करें तो बेहतर होगा। धान के केवल साफ बीज लें और बीज पका हुआ होगा तभी अंकुरण अच्छे से होगा।

खेत की तैयारी

इसके बाद खेत तैयार करना होता है, जिसमें सबसे पहले खेत की दो से तीन बार जुताई करके मिट्टी को समतल और भुरभुरा करें। उसके बाद डिस्क हैरो चलाएं और फिर कल्टीवेटर चलाकर अंतिम जुताई करेंगे, लेकिन अंतिम जुताई से पहले हमें खेत की मिट्टी में खाद देनी होगी, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।

जमीन को उपजाऊ बनाएं

अगर जमीन उपजाऊ होगी तो किसानों को उत्पादन भी अच्छा मिलेगा, अगर आप जैविक खेती करते हैं तो अंतिम जुताई से पहले खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और आप वर्मीकम्पोस्ट भी डाल सकते हैं, यहां आपको पुरानी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। मिली जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में किसान 10 क्विंटल तक पुरानी गोबर की खाद डाल सकते हैं, इसके अलावा मिट्टी की जरूरत के हिसाब से 10 किलो डाई अमोनियम फॉस्फेट और ढाई किलो जिंक सल्फेट भी डाल सकते हैं।

अगर किसी को अपने खेत की मिट्टी के बारे में जानकारी है तो उसके हिसाब से खाद डालें, जिस पोषक तत्वों की कमी हो। इसके लिए मिट्टी का परीक्षण करा सकते है।

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बीज और मिट्टी का उपचार

प्रामाणिक बीज चुनने के बाद बीज का उपचार भी करना चाहिए, अगर बीज का उपचार किया जाए तो बीमारी कम होगी, जिससे नुकसान नहीं होगा। आप खेत का उपचार भी कर सकते हैं। एक एकड़ में 2 किलो ट्राइकोडर्मा डालकर खेत की मिट्टी का उपचार कर सकते हैं। बीज उपचार की बात करें तो इससे अंकुरण क्षमता बढ़ती है और बीज जनित रोग नहीं लगते। नमक के पानी, कवकनाशी और जीवाणुनाशक से बीज उपचार किया जा सकता है।

क्यारियों में नर्सरी तैयार

किसान चाहे तो क्यारियों में भी नर्सरी तैयार कर सकता है। जिसके लिए वह 8 मीटर लंबी और 1.5 मीटर चौड़ी नर्सरी बनाकर उसमें बीजों की नर्सरी तैयार करेगा। 2 से 3 दिन में अंकुरण शुरू हो जाता है। तब तक आपको बीजों की सुरक्षा करनी होगी। आपको पक्षियों से बीजों की सुरक्षा करनी होगी। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि आप इसमें पराली भी रख सकते हैं जिससे पक्षी बीजों तक नहीं पहुंच पाएंगे। साथ ही समय-समय पर निरीक्षण करते रहें।

यदि पौधों में किसी भी प्रकार की पोषक तत्व की कमी हो रही है, पौधे हल्के पीले पड़ रहे हैं तो ऐसी स्थिति में आपको खाद डालना होगा ताकि पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाए और फसल अच्छी हो।









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