कैसे जानें कि कोई भारत-पाक युद्ध से जुड़ी कोई फोटो या वीडियो असली है या फेक?  यहां जानें

कैसे जानें कि कोई भारत-पाक युद्ध से जुड़ी कोई फोटो या वीडियो असली है या फेक? यहां जानें

सोशल मीडिया पर जब भी भारत-पाक युद्ध से जुड़ी कोई फोटो या वीडियो वायरल होती है, तो लोगों की भावनाएं उफान पर होती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तस्वीरें और वीडियो असली हैं या किसी ने एडिट करके आपको भ्रमित किया है?आज के डिजिटल युग में फेक न्यूज और डीपफेक कंटेंट का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में जरूरी है कि हम खुद जागरूक बनें और वायरल कंटेंट की सच्चाई जानने के लिए फैक्ट-चेकिंग टूल्स और ट्रिक्स का इस्तेमाल करें.

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1. रिवर्स इमेज सर्च: तस्वीरों की असलियत जानें
किसी भी वायरल फोटो की सच्चाई जानने के लिए रिवर्स इमेज सर्च एक कारगर तरीका है. इसके लिए आप निम्नलिखित टूल्स का उपयोग कर सकते हैं:

  1. Google Images: इसमें फोटो अपलोड करके या URL डालकर आप देख सकते हैं कि वह तस्वीर पहले कहां-कहां इस्तेमाल हुई है.
  2. TinEye: यह टूल आपको बताएगा कि तस्वीर पहली बार कब और कहां प्रकाशित हुई थी.
  3. Yandex Image Search: रूस का यह सर्च इंजन भी रिवर्स इमेज सर्च के लिए उपयोगी है.

इन टूल्स की मदद से आप जान सकते हैं कि कोई तस्वीर पुरानी है या हाल की, और क्या वह किसी अन्य घटना से संबंधित है.

2. वीडियो की सच्चाई जानने के लिए InVID का इस्तेमाल करें
InVID एक ऐसा टूल है जो वीडियो की सत्यता जांचने में मदद करता है. यह वीडियो को फ्रेम्स में तोड़कर हर फ्रेम की जांच करता है और बताता है कि वीडियो में कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई है.

InVID का उपयोग करने के लिए आप इसका ब्राउज़र एक्सटेंशन डाउनलोड कर सकते हैं और किसी भी वीडियो का विश्लेषण कर सकते हैं.

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3. VastavX AI: भारत का पहला डीपफेक डिटेक्शन सिस्टम
2025 में भारत ने अपना पहला डीपफेक डिटेक्शन सिस्टम 'VastavX AI' लॉन्च किया है. यह सिस्टम AI द्वारा बनाए गए नकली वीडियो, इमेज और ऑडियो की पहचान करता है. यह 99% सटीकता के साथ फर्जी कंटेंट की पहचान करता है और फॉरेंसिक रिपोर्ट प्रदान करता है. VastavX AI का उपयोग सरकारी एजेंसियां, मीडिया संगठन और साइबर सुरक्षा कंपनियां कर रही हैं.

4. Google Fact Check Tools: गूगल के फैक्ट-चेकिंग टूल्स का उपयोग करें

गूगल ने फैक्ट-चेकिंग के लिए कई टूल्स उपलब्ध कराए हैं:

  1. Fact Check Explorer: यह टूल आपको बताएगा कि किसी दावे की पहले जांच हुई है या नहीं.
  2. About this image: यह फीचर आपको बताएगा कि कोई इमेज पहली बार कब और कहां देखी गई थी.
  3. About this page: यह फीचर किसी वेबसाइट की विश्वसनीयता जांचने में मदद करता है.

ये टूल्स अब हिंदी में भी उपलब्ध हैं, जिससे हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं को भी आसानी होगी.

5. PIB Fact Check: सरकारी फैक्ट-चेकिंग सेवा
भारत सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने फेक न्यूज की जांच के लिए 'PIB Fact Check' सेवा शुरू की है. यह सेवा सोशल मीडिया पर वायरल हो रही गलत जानकारी की पुष्टि करती है और सही जानकारी प्रदान करती है.(Press Information Bureau)

आप PIB Fact Check को ट्विटर, फेसबुक या ईमेल के माध्यम से संदिग्ध जानकारी भेज सकते हैं.

6. FotoForensics: इमेज मैनिपुलेशन की जांच करें
FotoForensics एक ऑनलाइन टूल है जो तस्वीरों में की गई छेड़छाड़ की जांच करता है. यह इमेज की ELA (Error Level Analysis) करता है और बताता है कि तस्वीर में कोई एडिटिंग हुई है या नहीं.

इस टूल का उपयोग करके आप जान सकते हैं कि कोई तस्वीर असली है या एडिट की गई है.

7. सोशल मीडिया पर फैक्ट-चेकिंग के लिए टिप्स

  1. सोर्स की जांच करें: किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसके स्रोत की विश्वसनीयता जांचें.
  2. तारीख और समय देखें: कई बार पुरानी तस्वीरों या वीडियो को नई घटना के रूप में पेश किया जाता है.
  3. कंटेंट की तुलना करें: वायरल हो रहे कंटेंट की तुलना अन्य विश्वसनीय स्रोतों से करें.

8. मोबाइल ऐप्स से फैक्ट-चेकिंग करें
अब आप मोबाइल ऐप्स की मदद से भी फैक्ट-चेकिंग कर सकते हैं:

  1. Google Lens: यह ऐप आपको किसी भी इमेज की जानकारी देता है और बताता है कि वह कहां-कहां इस्तेमाल हुई है.
  2. Truepic: यह ऐप इमेज की सत्यता जांचने में मदद करता है.
  3. ClaimBuster: यह ऐप टेक्स्ट आधारित दावों की जांच करता है और उनकी सच्चाई बताता है.

9. डीपफेक पहचानने के लिए संकेत
डीपफेक वीडियो और इमेज की पहचान करने के लिए निम्नलिखित संकेतों पर ध्यान दें:

  1. चेहरे के किनारों पर असामान्यता: डीपफेक में चेहरे के किनारे अक्सर धुंधले या असामान्य होते हैं.
  2. आंखों की पलकें: डीपफेक में पलकें सामान्य से कम झपकती हैं.
  3. आवाज और होंठों का तालमेल: अगर आवाज और होंठों की मूवमेंट में तालमेल नहीं है, तो वह डीपफेक हो सकता है.
  4. लाइट और शैडो: लाइट और शैडो में तालमेल न होना भी डीपफेक की पहचान में मदद करती है.

10. संदिग्ध कंटेंट की रिपोर्ट करें
अगर आपको कोई फोटो या वीडियो संदिग्ध लगता है, तो उसे संबंधित प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें. इससे फेक न्यूज के प्रसार को रोका जा सकता है.

फेक न्यूज और डीपफेक कंटेंट का प्रसार हमारे समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है. लेकिन अगर हम जागरूक रहें और उपलब्ध टूल्स और ट्रिक्स का सही उपयोग करें, तो हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं.









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