हिंगलाज माता मंदिर में मुस्लिम भी झुकाते हैं सिर,दिलचस्प है इस मंदिर की कहानी

हिंगलाज माता मंदिर में मुस्लिम भी झुकाते हैं सिर,दिलचस्प है इस मंदिर की कहानी

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां मांगी हर मुराद पूरी होती है लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि यह मंदिर भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित है, जी हां आपने सही समझा यहां बात हो रही है हिंगलाज माता मंदिर की, जो कि शक्ति, भक्ति और एकता का साक्षात उदाहरण हैं।इसे 'नानी का मंदिर' भी कहते हैं, ये मां सति को समर्पित है, कहा जाता है कि यहां देवी का ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क का भाग) गिरा था, यहां स्थित शिला को हिंगलाज माता के रूप में पूजा जाता है।"हिंग" (रौद्र रूप) और "लाज" (लज्जा) शब्दों से मिलकर बना हैं। जिसका अर्थ होता है 'तुरंत फल देने वाली मां'। ये प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।

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हिंगोल नेशनल पार्क में स्थित है माता का मंदिर

आपको बता दें कि माता का मंदिर बलूचिस्तान में मकरान तट के पास हिंगोल नेशनल पार्क अंदर स्थित है, माता के दर्शन करने के लिए भक्तों को कठिन यात्रा से गुजरना पड़ता है। मालूम हो कि हिंगलाजा माता डोडिया राजपूत की प्रथम कुलदेवी के रूप में भी पूजी जाती हैं और मां के इस रूप की पूजा भारत के राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी होती है।

मंदिर को स्थानीय मुस्लिम 'नानी का हज' कहते हैं

मालूम हो कि हिंगलाज माता मंदिर को स्थानीय मुस्लिम 'नानी का हज' कहकर भी संबोधित करते हैं। इसके साफ-सफाई और सुरक्षा में इनका भी काफी योगदान है। बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और इसकी सीमाएं अफगानिस्तान और ईरान से मिलती हैं। यहां के निवासियों को 'बलोच' और 'पश्तून' कहा जाता है।: 

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पाकिस्तान से अलग होना चाहता है बलूचिस्तान!

पाकिस्तान जो प्राकृतिक गैस उत्पादित करता है , उसका एक बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान से ही आता है लेकिन ये प्रांत लंबे वक्त से बगावती तेवर अपनाया हुआ है, दरअसल यहां के लोग पाकिस्तान हुकूमत पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं।

70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे

उनका कहना है कि उनके पास पाकिस्तान के सबसे ज्यादा खनिज हैं लेकिन उसका आर्थिक फायदा नहीं मिलता है। यहां के 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे जीवन गुजारते हैं और इसी वजह से प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनना चाहता है, जिसकी वजह से उसने बगावती रूप अपनाया हुआ है।







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