सीजफायर में कश्मीर के जिक्र पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

सीजफायर में कश्मीर के जिक्र पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

नई दिल्ली: कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई रोके जाने पर सवाल उठाते हुए अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार करने पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। ऑपेरशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सेना की कार्रवाई का पूरा समर्थन करते हुए पार्टी ने कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने तथा भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर भी एतराज जताते इस पर सरकार से तस्वीर साफ करने की मांग की है।

वहीं, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तथा कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर को लेकर संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाए जाने का आग्रह किया है।

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राहुल गांधी ने लिखा पत्र

राहुल गांधी ने विपक्ष की ओर से संसद सत्र बुलाने की सर्वसम्मति से की गई अपील को दोहराते हुए पत्र में कहा है कि विशेष संसद सत्र में पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर जिसकी घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने की, उस पर चर्चा जरूरी है। यह आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित करने का भी एक अवसर होगा।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने भी पीएम को भेजा पत्र

मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पीएम को भेजे पत्र में इन बातों का उल्लेख करने के साथ पहलगाम आतंकी हमले के बाद 28 अप्रैल को संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए राहुल गांधी और उनकी ओर से भेजे गए पत्र का भी स्मरण कराया है।

भारत और पाकिस्तान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से सीजफायर के एलान पर एतराज जताते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता हमें स्वीकार्य नहीं है। ट्रंप की घोषणा और तटस्थ स्थल पर भारत-पाक के बीच बातचीत के अमेरिकी अधिकारियों के बयान का हवाला देते हुए पायलट ने पूछा कि क्या सरकार तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार करती है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ऑपेरशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई है और कश्मीर को इससे जोड़ना अस्वीकार्य है।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछे सवाल

भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलने का अमेरिकी रुख भी कई गंभीर सवाल खड़े करता है। पायलट ने सरकार से यह भी पूछा कि आखिर यह संघर्ष विराम किन शर्तों पर हुआ और इसकी क्या गारंटी है कि अब पाकिस्तान की तरफ से आतंकी हमले नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम की विश्वसनीयता पर तो कुछ ही घंटे में सवाल उठ गए थे, जब पाकिस्तान ने फिर से भारतीय चौकियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेना मसला है जिस पर भारत की संसद ने 1994 में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने राजनीतिक मतभेद अलग रखकर सरकार को पहलगाम पर पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए असाधारण संपूर्ण समर्थन दिया। ऐसे में सीजफायर की इतनी जल्दी घोषणा की क्या वजह रही, यह देश की 140 करोड़ जनता को जानने का हक है। इन घटनाक्रमों से उठे गंभीर सवालों का विशेष सत्र तथा सर्वदलीय बैठक बुलाकर जवाब दिया जाना जरूरी है।कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाया कि क्या शिमला समझौता रद हो गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का है और किसी को भी इसमें हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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निशिकांत दुबे का कांग्रेस पर प्रहार

इस बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर निशाना साधा है। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर विशेष संसद सत्र की मांग कर रहे विपक्ष पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को तीखा हमला किया। दुबे ने इसे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ जहर उगलने का अवसर देने का प्रयास बताया। दुबे ने एक्स पर लिखा कि संसद का सत्र बुलाओ, विपक्षी पार्टियां सरकार को गालियां दें और भारतीय सेना को बदनाम करें। राजनीति करो, देश को जाने दो।









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