घीया, जिसे लौकी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण कद्दूवर्गीय सब्जी है. यह अपने पौष्टिक गुणों और औषधीय लाभों के कारण किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लाभकारी है. इसके फल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और खनिज लवणों के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण विटामिनों से भरपूर होते हैं. इसकी ठंडी तासीर के कारण यह सुपाच्य होती है और चिकित्सक इसे रोगियों के आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं. लौकी से विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बनाई जाती है, जैसे - सब्जी, रायता, खीर, कोफ्ते, अचार और मिठाइयां. इसके बहुपयोगी होने के कारण इसकी बाजार में भी अच्छी मांग रहती है.
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी – कर्महिनों को कर्मठता नही भाति
घीया की उन्नत खेती और उत्पादन क्षमता
वैज्ञानिक तरीकों से घीया की खेती करके किसान 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. यदि उन्नत किस्मों का उपयोग किया जाए, तो यह उत्पादन 100 से 120 क्विंटल प्रति एकड़ तक भी पहुंच सकता है. कृषि वैज्ञानिक किसानों को वैज्ञानिक विधियों और अनुशंसित किस्मों को अपनाने की सलाह देते हैं, जिससे अधिक पैदावार और मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है.
घीया की उन्नत किस्में
मिट्टी की उपयुक्तता और खेत की तैयारी
ये भी पढ़े : एसपी ने लगाई फटकार,थाना भखारा का किया आकस्मिक निरीक्षण
कीट और रोग प्रबंधन



Comments