छत्तीसगढ़ के राशन कार्डधारकों के लिए बड़ी खबर एक साथ मिलेगा 3 महीने का राशन

 छत्तीसगढ़ के राशन कार्डधारकों के लिए बड़ी खबर एक साथ मिलेगा 3 महीने का राशन

रायपुर: छत्तीसगढ़ के राशन कार्डधारकों के लिए बड़ी राहत की खबर है. अब जून महीने में ही जून, जुलाई और अगस्त तीन महीनों का PDS चावल एक साथ मिलेगा. यह निर्णय मानसून के समय लोगों को परेशानी से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है.

भारत सरकार के निर्देश के बाद खाद्य विभाग ने इस आदेश को मंजूरी दी है. हालांकि, यह एकमुश्त वितरण केवल चावल पर ही लागू होगा, नमक और शक्कर पहले की तरह हर महीने ही मिलेंगे. इसका मतलब यह हुआ कि नमक और शक्कर लेने के लिए हितग्राहियों को हर महीने PDS दुकान जाना पड़ेगा. सरकार का उद्देश्य है कि बारिश के मौसम में लोगों को राशन लाने में कठिनाई न हो, और साथ ही नान (NAN) गोदामों को समय पर खाली किया जा सके.

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साढ़े तीन लाख परिवारों को होगा लाभ

जिला खाद्य अधिकारी कौशल साहू के अनुसार, जांजगीर-चांपा जिले में साढ़े तीन लाख से ज्यादा बीपीएल और एपीएल राशन कार्डधारकों को इस फैसले का सीधा लाभ मिलेगा. सभी PDS दुकानदारों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं, ताकि वितरण प्रक्रिया समय पर और सही ढंग से हो सके.

31 मई तक चावल का भंडारण, 30 जून तक वितरण का लक्ष्य

तीन महीने के चावल का वितरण सुनिश्चित करने के लिए 31 मई तक सभी PDS दुकानों में पर्याप्त चावल का भंडारण करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, 30 जून तक सभी कार्डधारकों को तीन महीने का चावल बांटने का लक्ष्य रखा गया है.

मौजूदा वितरण व्यवस्था पर उठते सवाल

जहां एक ओर सरकार तीन महीने का राशन एक साथ बांटने की योजना बना रही है, वहीं वास्तविक स्थिति कई जगहों पर चिंताजनक बनी हुई है. जांजगीर शहर के नैला वार्ड क्रमांक 5 की PDS दुकान में हितग्राहियों को एक महीने का राशन तक समय पर नहीं मिल पा रहा. कई एपीएल कार्डधारकों को दुकान से यह कहकर लौटा दिया जाता है कि उनके हिस्से का कोटा नहीं आया है.

बार-बार चक्कर काटने को मजबूर हितग्राही

एपीएल कार्डधारक खासकर इस व्यवस्था से सबसे ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि उन्हें हर महीने राशन के लिए कई बार दुकान का चक्कर लगाना पड़ता है. मई महीने में भी कई लोग चावल के लिए परेशान होते दिखे.

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सरकार की योजना अच्छी, लेकिन ज़मीनी अमल जरूरी

सरकार द्वारा मानसून को देखते हुए लिया गया यह निर्णय योजना के स्तर पर सराहनीय है. लेकिन यदि राशन वितरण की मौजूदा व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो तीन महीने का चावल एक साथ देने की योजना सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगी.







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