भारत कृषि प्रधान देश है, जहां लाखों किसान पारंपरिक फसलों पर निर्भर है, लेकिन बदलते समय के साथ अब कई किसान पारंपरिक खेती से हटकर नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जिनमें गुलाब की खेती/Rose Farming प्रमुखता से उभर कर सामने आई है. गुलाब न केवल अपनी सुंदरता और खुशबू के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके माध्यम से किसान लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. यदि सही तकनीक और रणनीति अपनाई जाए, तो गुलाब की खेती/ Gulab ki kheti एक छोटे किसान के जीवन को भी आर्थिक रूप से पूरी तरह बदल सकती है.
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भारत में विकसित प्रमुख गुलाब की किस्में
गुलाब की खेती शुरुआत कैसे करें? (How to Start Rose Farming?)
व्यावसायिक खेती के लिए सही किस्म का चयन अत्यंत आवश्यक है. देशी गुलाब, डच गुलाब, रोजा डैमासेना (इत्र के लिए), दामिनी, ग्रेन डोर, जॉइंट और फर्स्ट रेड जैसी किस्में आमतौर पर अधिक मांग वाली होती हैं, प्रत्येक किस्म की अपनी विशेषता होती है.कुछ सुगंध के लिए प्रसिद्ध हैं, तो कुछ लंबे समय तक टिकने वाले और सजावटी उपयोग के लिए आदर्श होते हैं.
गुलाब की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. जहां तापमान 15°C से 30°C के बीच रहता हो, वहां गुलाब अच्छे से विकसित होता है.मिट्टी के लिहाज से दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो और कार्बनिक तत्वों की मात्रा अधिक हो, उपयुक्त मानी जाती है.
खेत को अच्छी तरह से जोत कर उसमें गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली आदि मिला दी जाती है. गुलाब के पौधों को 60x60 सेमी या 75x75 सेमी की दूरी पर कतारों में लगाया जाता हैं.रोपण के लिए मानसून के बाद का समय यानी जुलाई से सितंबर सर्वोत्तम माना जाता है.
गुलाब को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेषकर गर्मी में ड्रिप इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) प्रणाली अपनाने से पानी की बचत के साथ पौधों को आवश्यक मात्रा में नमी मिलती रहती है.समय-समय पर निराई-गुड़ाई, छंटाई और कीट नियंत्रण करते रहना जरूरी है.
छंटाई से पौधों में नई शाखाएं विकसित होती हैं, जिससे फूलों की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होती है. गुलाब की छंटाई साल में एक या दो बार की जाती है.यह कार्य अक्टूबर-नवंबर में किया जाता है ताकि सर्दियों में बेहतर उत्पादन मिल सके.
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कमाई और लाभ
एक एकड़ भूमि में लगभग 15,000 से 20,000 गुलाब के पौधे लगाए जा सकते हैं. यदि पौधों की देखभाल वैज्ञानिक तरीके से की जाए और उत्पाद की सही मार्केटिंग की जाए, तो एक एकड़ से सालाना ₹5 से ₹8 लाख तक की आय संभव है. कुछ सफल किसान प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर गुलकंद, गुलाब जल, सूखे फूल, इत्र, गुलाब तेल आदि तैयार करते हैं और अपनी आय को दोगुना-तिगुना तक बढ़ा लेते हैं.
बाजार और विपणन
गुलाब का बाजार बहुत व्यापक है.किसान अपने उत्पाद को स्थानीय फूल मंडियों, पूजा सामग्री की दुकानों, होटल्स, इवेंट प्लानर, मैरिज हॉल और सुपरमार्केट तक बेच सकते हैं.आजकल कई किसान सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच बना रहे हैं. प्रोसेसिंग कर गुलकंद या गुलाब जल जैसे उत्पाद ब्रांडिंग के साथ बेचने से भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है.
सरकारी सहायता और प्रशिक्षण
कई राज्य सरकारें और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) किसानों को गुलाब की खेती के लिए प्रशिक्षण और अनुदान भी देते हैं. नाबार्ड जैसे संस्थानों से वित्तीय सहायता और लोन भी लिए जा सकते हैं. इससे छोटे और मध्यम किसान भी बड़े पैमाने पर इस खेती को अपनाने के लिए सक्षम हो जाते हैं. यह न केवल किसान की आय बढ़ाती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और उद्यमी बनने की प्रेरणा भी देती है.
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