पंडित नेहरू की 5 गलतियां जिन्हें भारत आज तक भुगत रहा है

पंडित नेहरू की 5 गलतियां जिन्हें भारत आज तक भुगत रहा है

भारत को आजादी दिलाने में अनेक क्रांतिकारियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था, पूरे विश्व मे भारत एक मात्र ऐसा देश था जो अंग्रेज़ो के शासनकाल मे ख़ुद की मर्ज़ी का कुछ नहीं कर सकता था.

भारत को आजादी इतनी आसानी से नही मिली. उसके लिए भारतवर्ष ओर यहाँ की जननी ने अपने वीर सपूतों को ख़ुद के आँचल में दम तोड़ते हुए देखा है. गुलामी के वक़्त भारत मे देश को आजाद कराने के चक्कर मे यहां के राजनेता, वीरों की शहादत पर अपनी राजनीतिक दलों का निर्माण कर रहे थे.

इनमें से एक राजनेता ऐसा भी हुआ है जिसने भारत को साथ रहकर जीत तो दिलाई लेकिन भारतवर्ष के भाग्य को काल के हाथों में शौप दिया, अपनी राजनीतिक का उल्लू सीधा करने के लिए आधुनिक राष्ट्र के पिता कहे जाने वाले जवाहर लाल नेहरू ने भारत के विकास पर देशवासियों को खूब ठगा. नेहरू ने अपने जीवन काल में इतनी गलतियां की है कि उनको कभी भी सुधारा नहीं जा सकता है -

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1.1962 भारत ओर चीन युद्ध - भारत इस युद्ध मे चाइना के हाथों परास्त हो गया था. इस हार के कारणों को सही प्रकार से जानने के लिए ले.जर्नल हेंडरसन ओर कमांडेंट बिग्रेडियर भारत सरकार की अगुवाई में एक समिति का गठन किया गया . जिसमे मूल रूप से भारत के प्रधानमंत्री पद पर मौजूद जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया था. नेहरू ने "हिंदी चीनी भाई-भाई" का नारा देते हुए चीनी सेना को भारत मे आने का रास्ता दे दिया और भारतीय सेना को रोके रखा. जिसका फायदा उठाकर चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम ओर आसाम होते हुए भारत मे अंदर तक आ गयी जिसके परिणाम स्वरूप चीन ने कश्मीर का 14000 स्क्वार. किमी भाग पर अपना कब्जा बना लिया था.

2. भारत ओर नेपाल विलय- अगर भारत नेपाल के विलय कर लेता तो शायद आज देश की तस्वीर कुछ अलग होती. नेपाल के राजा त्रिभुवन विक्रमशाह ने पंडित नेहरू से विलय करने की बात कही लेकिन नेहरू ने ये कहते हुए नकार दिया. भारत को इससे नुकसान के सिवाए कुछ हासिल नहीं होगा.

3. 13 जनवरी 1954 को नेहरू ने भारत का दूसरा कश्मीर कहे जाने वाली "काबू व्हेली" दोस्ती की याद में बर्मा को बड़ी आसानी से दे दी, जो कि इनकी सबसे बड़ी ग़लतियो में से एक है. काबू व्हेली लगभग 11000 स्के. किमी में फैली हुई थीं. बर्मा ने काबू व्हेली का अधिक हिस्सा चीन को दे रखा है जिसमें से वह भारत मे आए दिन मुठभेड़ करता रहता है.

4. नेहरू वैसे तो बहुत ही राजनीतिज्ञानी थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि दुश्मन अपनी मीठी वाणी से दिल मे छेद कर अंदर कैंसर की तरह फैलता जाता है. ऐसा तब घटा जब नेहरू की दोस्ती "एडविना" से हुई और ये दोस्ती , दोस्ती नहीं जिस्मानी हो गयी थी. जिसके चलते नेहरू ने अपने बहुत सारे राज एडविना को बता दिए जिसकी वजह से चीन भारत मे अंदर आ गया था.

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5. पंचशील समझौता- "मध्य रात्रि में जब सारी दुनिया गहरी नींद में सो रही होगी तब भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिये जागेगा" ये शब्द नेहरू कहे थे. ये कहने के तुरंत बाद नेहरू चीन से दोस्ती करने के लिए बहुत ही उतावले हो रहे, उनकी उत्सुकता देखते ही बनती थी कि वे राजनीति के चक्कर मे भारत को दुश्मन के हाथों सौप रहे थे. जैसे ही नेहरू ने 1954 में चीन को पंचशील समझोते के लिए मनाया. तब भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा करार दे दिया था, जो कि नेहरू की सबसे बड़ी गलती थी. जब 1962 में भारत चीन युद्ध हुआ तो चीनी सेना इसी रास्ते भारत पर आक्रमण करने आ गयी थी.









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