नक्सल विरोधी अभियान को मिली बड़ी सफलता,4 हार्डकोर सहित 18 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

नक्सल विरोधी अभियान को मिली बड़ी सफलता,4 हार्डकोर सहित 18 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

सुकमा : छत्तीसगढ़  के नक्सल प्रभावित सुकमा (Sukma) जिले से एक सकारात्मक और बड़ी खबर सामने आई है। लगातार दबाव और पुनर्वास योजनाओं के प्रभाव से दक्षिण बस्तर डिवीजन और पीएलजीए बटालियन नंबर-01 से जुड़े 18 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इनमें से 4 हार्डकोर नक्सली (Hardcore Naxals) भी शामिल हैं, जिन पर लाखों रुपये के इनाम थे।

39 लाख के इनामी नक्सली बने समाज का हिस्सा

आत्मसमर्पित नक्सलियों पर कुल मिलाकर 39 लाख रुपये का इनाम (Reward) घोषित था। इन सभी ने जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की “नक्सल सदस्य मुक्त ग्राम पंचायत योजना (Naxal-Member-Free Gram Panchayat Yojana)” और “नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति (Surrender and Rehabilitation Policy)” के तहत हुआ है।

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इन योजनाओं के तहत जिन पंचायतों को नक्सलियों से मुक्त घोषित किया जाता है, उन्हें 1 करोड़ रुपये की विकास राशि दी जाती है, जिससे वहां स्कूल, अस्पताल, सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

सुरक्षा बलों की समन्वित कार्रवाई का असर

इस ऑपरेशन में जिला बल (District Force), डीआरजी सुकमा (DRG Sukma), विआशा (VIAWASHA Sukma), रेंज फील्ड टीम (RFT) कोंटा, जगदलपुर, और CRPF की 80वीं, 212वीं, 219वीं और COBRA की 203वीं बटालियन की खुफिया इकाइयों ने मिलकर अहम भूमिका निभाई।

पुलिस अधीक्षक की अपील- समाज की ओर लौटें नक्सली

सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चह्वाण (SP Kiran Chavan) ने इस मौके पर शेष नक्सलियों से भी अपील की है कि वे हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करें और सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाकर सम्मानजनक जीवन की ओर लौटें।

उन्होंने यह भी बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंपों (Security Camps) की स्थापना और प्रशासनिक पकड़ से नक्सली संगठन कमजोर हुए हैं। यही कारण है कि अब बड़ी संख्या में नक्सली खुद आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति की उम्मीद

सुकमा और बस्तर जैसे क्षेत्रों में लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से शांति बहाली की उम्मीद और मजबूत हो गई है। सरकार की कोशिश है कि न केवल हिंसा रोकी जाए, बल्कि विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया जाए।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

 









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