हर महीने में दो और साल में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं। मगर, इन सभी में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण है, जिसे निर्जला एकदाशी के नाम से भी जानते हैं। कारण है कि सिर्फ इसी एकादशी का व्रत करने से साल की सभी एकादशियों का फल मिल जाता है।
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इस व्रत के महत्व के बारे में पद्म पुराण में भी लिखा गया है और इसके बारे में महाभारत में भी वर्णन किया गया है। अपनी भूख को काबू न कर पाने वाले भीम ने भी महर्षि वेद व्यास और पितामाह भीष्म से ज्ञान लेकर निर्जला एकादशी का व्रत रखा था।
तपस्या जैसा है निर्जला एकादशी का व्रत
निर्जला एकदाशी का व्रत कठिन होता है और यह तपस्या के समान माना जाता है क्योंकि ज्येष्ठ की गर्मी में जब गला सूखने लगता है, तो भी इस व्रत को करने वाले पानी नहीं पीते हैं। इतने बड़े और पुण्य दिन में यदि आप कोई दान-पुण्य करते हैं, तो उसका कई गुना फल मिलता है, जिससे सुख-समृद्धि के दरवाजे खुल जाते हैं।
इस साल 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी है। इस दिन एकादशी का उपवास करने और दान करने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। दान करने वाले के जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं और सुखों को भोगकर वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
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