देश में पहली बार ध्वस्त होंगी 22 हजार इमारतें, होगा एशिया का सबसे बड़ा नगरीय विस्थापन होगा

देश में पहली बार ध्वस्त होंगी 22 हजार इमारतें, होगा एशिया का सबसे बड़ा नगरीय विस्थापन होगा

देश की ऊर्जा राजधानी सिंगरौली में एशिया का सबसे बड़ा नगरीय विस्थापन होने जा रहा है। यहां 30 हजार परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। देश में पहली बार ऐसा होगा, जब किसी कोयला खदान के लिए बसे-बसाए शहर को उजाड़ा जाएगा।

यहां 22 हजार से ज्यादा इमारतें ध्वस्त की जाएंगी।

इनमें चार बड़े कॉलेज, 20 से ज्यादा प्रमुख स्कूल और कई बड़े अस्पताल शामिल हैं। मंदिर और मस्जिद सहित अन्य धर्मस्थल भी टूटेंगे। पांच हजार से ज्यादा छोटे-बड़े दुकानदार भी हटाए जाएंगे। कोई 40 साल पहले यहां आया था तो कोई 60 साल पहले।

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मोरवा शहर सिंगरौली का दिल है। यह जिस जगह पर बसा है, वहां जमीन के नीचे कोयले का विशाल भंडार मिला है। कोल इंडिया की संस्था नाॅर्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) यूपी-एमपी सीमा पर स्थित अपनी जयंत कोयला खदान का विस्तार करते हुए यहां 927 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करेगा। इस पूरी प्रक्रिया पर करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

एनसीएल के सर्वे के मुताबिक यहां से करीब 800 मिलियन टन कोयला निकाला जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पिछले साल फरवरी में कोल बियरिंग एरिया एक्ट की धारा-9 (अधिग्रहण की तैयारी) लागू की गई थी। अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए भूमि, मकान, दुकान और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान की नापी शुरू की गई है। इस आधार पर विस्थापितों के पुनर्वास का आकलन करते हुए मुआवजा दिया जाएगा।

5 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े दुकानदार भी हटाए जाएंगे
जयंत परियोजना के विस्तार के लिए मोरवा में 927 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। करीब 30 हजार परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। यह कोल इंडिया का सबसे बड़ा विस्थापन है। इसी के अनुरूप तय मानकों के तहत प्रभावित परिवारों के बेहतर पुनर्वास की भी व्यवस्था की जाएगी। -रामविजय सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, एनसीएल।

एक तिहाई ही रह जाएगा सिंगरौली

जिस भूमि का अधिग्रहण होना है, उस पर एनसीएल का मुख्यालय, आवास और सिंगरौली नगर निगम के 11 वार्ड और मुख्य बाजार भी हैं। इस विस्थापन के बाद सिंगरौली शहर एक तिहाई ही रह जाएगा। विस्थापन और अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया के लिए अभी कोई डेडलाइन तय नहीं है, लेकिन इसमें करीब डेढ़ से दो साल लगने का अनुमान है। जयंत परियोजना से कोल उत्पादन करीब 30 मिलियन टन प्रति वर्ष है। इसे अगले तीन साल में 35 मिलियन टन करने का लक्ष्य है।

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मोरवा यानी सिंगरौली का पुराना शहर, 11 वार्ड और एक लाख से ज्यादा की आबादी सिंगरौली नगर निगम में तीन जोन हैं। इनमें से सबसे पुराना जोन मोरवा है। मोरवा में कुल 11 वार्ड हैं, जिनकी आबादी करीब एक लाख से अधिक है। सिंगरौली रेलवे स्टेशन, एनसीएल का मुख्यालय सहित पुरानी बसावट मोरवा में ही है। दूसरा जोन बैढ़न है, जहां सिंगरौली का जिला मुख्यालय है। कलेक्ट्रेट, एसपी कार्यालय सहित अन्य सभी सरकारी भवन बैढ़न में हैं। तीसरा जोन विंध्यनगर है। यह जोन एनटीपीसी की विंध्याचल परियोजना के आसपास बसा है। इनमें मोरवा इसलिए महत्वपूर्ण है कि पुराना सिंगरौली शहर यहीं है।






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