आदिवासी महिलाओं को मिली आत्मनिर्भरता की नई दिशा: बल्दाकछार में सब्ज़ी-फल उत्पादन से पोषण और आजीविका को संबल

आदिवासी महिलाओं को मिली आत्मनिर्भरता की नई दिशा: बल्दाकछार में सब्ज़ी-फल उत्पादन से पोषण और आजीविका को संबल

बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और पोषण स्तर में सुधार के लिए जिला प्रशासन ने एक अभिनव और अनुकरणीय पहल की है। बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड के ग्राम बल्दाकछार में विशेष पिछड़ी जनजाति—कमार समुदाय की महिलाओं को उद्यानिकी विभाग द्वारा फल एवं सब्ज़ी उत्पादन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य केवल आजीविका का साधन उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि महिलाओं के पोषण स्तर को भी मज़बूत करना है।

प्रशासनिक नेतृत्व में सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक प्रयास

इस प्रयास की नींव ज़िला कलेक्टर दीपक सोनी के मार्गदर्शन में रखी गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले में विशेष रूप से आदिवासी बहनों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योजनाबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सब्ज़ी उत्पादन से न केवल महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम बनेंगी, बल्कि पौष्टिक आहार से उनके स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी – सुशासन के लिए समदर्शिता है जरुरी 

कलेक्टर श्री सोनी ने यह भी बताया कि इस पहल को जिले के अन्य ग्रामों में भी विस्तार दिया जाएगा ताकि अधिक से अधिक आदिवासी महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो सकें। इसके पीछे प्रशासन की सोच यह है कि महिलाएं स्वयं अपने खेतों में जैविक और पोषक सब्जियां उगाएं, उनका सेवन करें और अतिरिक्त उपज को बाज़ार में बेचकर आमदनी प्राप्त करें।

हंस वाहिनी स्व-सहायता समूह बना आत्मनिर्भरता का उदाहरण

बल्दाकछार की 'हंस वाहिनी स्व सहायता समूह' की सदस्याएं — फूलबाई, फुलेश्वरी, देशियाबाई, पुन्नी बाई, सहोदरा बाई, केरो बाई, सुखवंतीन, बुधारबाई और दिल कुमारी — इस पहल में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। इन महिलाओं ने सब्ज़ी उत्पादन में रुचि दिखाई, जिसके बाद उद्यानिकी विभाग द्वारा उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

सहायक संचालक (उद्यानिकी) श्रीमती आभा पाठक ने बताया कि समूह को शासकीय भूमि पर खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस भूमि पर भिंडी, बरबट्टी, करेला, लौकी, लाल भाजी, करमता भाजी, पालक जैसी मौसमी सब्जियां लगाई गई हैं। महिलाओं द्वारा अभी तक करीब 6 किलोग्राम हरी भाजी की तुड़ाई की जा चुकी है, जिसका उपयोग वे घरेलू भोजन में कर रही हैं।

आर्थिक लाभ के साथ पोषण स्तर में भी सुधार

यह परियोजना दोहरा लाभ प्रदान कर रही है — एक ओर महिलाओं को घर बैठे रोज़गार मिल रहा है, दूसरी ओर उनके और उनके परिवार के पोषण स्तर में सुधार हो रहा है। यह विशेष रूप से कमार जनजाति के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है, जिनका परंपरागत जीवनशैली पोषक तत्वों से वंचित रहा है।

अगले एक माह में भिंडी और बरबट्टी की फसल भी तैयार हो जाएगी, जिसे महिलाएं स्थानीय बाज़ारों में बेचकर अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर सकेंगी। इस तरह यह योजना आत्मनिर्भर भारत के सपने को जमीनी हकीकत में बदलने का एक सशक्त माध्यम बन रही है।

फलवृक्षों का रोपण और नर्सरी उत्पादन की भी व्यवस्था

इस योजना को बहुआयामी रूप देते हुए मनरेगा मद से एक एकड़ भूमि पर मिश्रित फलदार पौधों का रोपण भी किया गया है। इसमें आम, अमरूद, कटहल, सीताफल, आँवला और जामुन जैसे पौधों को सम्मिलित किया गया है। कुल मिलाकर 100 से अधिक पौधों का रोपण किया गया है।

इसके अतिरिक्त, महिलाओं को फलदार वृक्षों की नर्सरी उत्पादन में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। विभाग के निर्देशन में लगभग 10,000 पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है, जो आगे चलकर आय का एक स्थायी स्रोत बन सकती है।

ये भी पढ़े : KTM Duke स्पीड बाईक को मोडिफाइड कराकर खतरनाक ढंग से चलाने वाले स्पीड बाईकर्स पर लगी तगड़ा जुर्माना

आदिवासी अंचल में विकास की नई बयार

बल्दाकछार की यह पहल यह सिद्ध करती है कि जब सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू होती हैं, तो सामाजिक बदलाव संभव होता है। यह मॉडल अन्य आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।

प्रशासन का यह भी लक्ष्य है कि निकट भविष्य में इस परियोजना को जिले के अन्य आदिवासी बहुल ग्रामों में विस्तारित किया जाए, ताकि महिलाएं अपने पारंपरिक जीवनशैली को बरकरार रखते हुए आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

निष्कर्ष

बल्दाकछार की आदिवासी महिलाएं आज एक नई पहचान की ओर अग्रसर हैं। सब्ज़ी और फल उत्पादन की यह पहल केवल खेती नहीं, बल्कि स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और पोषण का संगम है। यह पहल यह भी दिखाती है कि जब महिलाएं संगठित होती हैं और प्रशासन साथ देता है, तो बदलाव अवश्यंभावी होता है।









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे

Comments

  • No Comments...

Leave Comments