भारी विरोध के बीच मुहम्मद यूनुस की चार दिवसीय ब्रिटेन यात्रा शुरू,सेंट्रल लंदन में लगे वापस जाओ के नारे

भारी विरोध के बीच मुहम्मद यूनुस की चार दिवसीय ब्रिटेन यात्रा शुरू,सेंट्रल लंदन में लगे वापस जाओ के नारे

लंदन :  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने मंगलवार को अपनी ब्रिटेन की चार दिवसीय यात्रा शुरू की। इस दौरान हीथ्रो हवाई अड्डे के बाहर और सेंट्रल लंदन के एक होटल में सैकड़ों प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। उनके हाथों में काले झंडे और बैनर थे जिनमें से कई पर लिखा था - ''यूनुस मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों का हत्यारा है।''

यूनुस वापस जाओ जैसे नारे लगाए

प्रदर्शनकारियों ने ''यूनुस वापस जाओ'' जैसे नारे लगाए और आरोप लगाया कि वह बांग्लादेश में उग्रवाद और कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहे हैं। कई लोगों ने हिरासत में लिए गए हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की भी मांग की और कहा कि इसके बजाय यूनुस को मुकदमे का सामना करना चाहिए और सलाखों के पीछे होना चाहिए।

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प्रदर्शनकारियों में अधिकांश अवामी लीग के लोग

कई प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से अधिकांश अवामी लीग के थे और ब्रिटेन में रहने वाले बांग्लादेशी भी शामिल थे जो 10 महीने पहले यूनुस के सत्ता में आने के बाद से देश छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे।प्रदर्शनकारियों ने हवाई अड्डे से होटल तक जाते समय यूनुस के काफिले पर जूते और अंडे भी फेंके। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे होटल के बाहर डटे रहेंगे और उन स्थानों पर रैली निकालेंगे जहां यूनुस अपने प्रवास के दौरान बैठकें करेंगे।

ब्रिटेन की संसद के बाहर पूरे दिन होता रहा प्रदर्शन

इसमें बुधवार को चैथम हाउस के बाहर और गुरुवार को ब्रिटेन की संसद के बाहर पूरे दिन का प्रदर्शन शामिल है। प्रदर्शनकारी इस सप्ताह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की यूनुस के साथ निर्धारित बैठक से भी बेहद नाखुश हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि कोई भी औपचारिक बैठक अनिर्वाचित और असंवैधानिक प्रशासन को वैधता प्रदान करती है।

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर यूनुस सरकार की आलोचना

बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना की है और पाकिस्तान के साथ उसकी ''बढ़ती नजदीकी'' के खिलाफ चेतावनी दी है।

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उन्होंने इस कूटनीतिक बदलाव को ''खतरनाक'' करार दिया और दावा किया कि यह 1971 के मुक्ति संग्राम की विरासत का अपमान करता है और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा पैदा करता है।









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