12 मई 2025 : छत्तीसगढ़ में कुख्याति परवान चढ़ रही साथ ही कई सवाल खड़े कर रही ,अंडा ठेला लगाने वाला कैसे अरबपति और बेहिसाब सम्पत्तियों का मालिक बन गया ? रसूख का रौब गांठते, अवैध सुदखोरी का धंधा उसका कैसे फला फुला ,संगठित गिरोह के माध्यम से उसने इस कुकृत्य को अंजाम दिया । वर्षो ये अनैतिक ,अपराधिक कृत्य चलते रहा और पुलिस स्थितप्रज्ञ बनी बैठी रही ,पीड़ितो की कराह पुलिस नही सुन पा रही क्योकि पैसों की खनक उसके कानों में गूंज रही, आँखें मूंदे बैठी ,पुलिस उन्हें हिस्ट्रीशीटर बताती है पर उन्हें हिस्ट्री रिपीट करने से नही रोक पा रही है, पूरी बेशर्मी से बता रही है की FIR पोर्टल में इसलिए नही दिख रहे क्योंकि प्रार्थी आरोपियों से भयाक्रांत हैं ,ये भय दूर करना भी तो पुलिस का ही काम है । तोमर बंधुओं को संरक्ष्ण पुलिस और राजनीति दोनों का है ,मंत्री के साथ तस्वीरें दिख रहीं, सफ़ेद पोशों ,व्यवसायियों के साथ संबंध दिख रहे, खारुन पर दावे कर राबिन हुड की छवि पाने की कोशिशें हों रही, छत्तीसगढ़ के राजधानी में छत्तीसगढ़ियों की अस्मिता से खिलवाड़ हों रहा ,जघन्य अपराधों की सूचि में अपराधियों के नाम ढूंढे जाएं तो छत्तीसगढ़ के मूलनिवासियों के हिस्से अपराध से ग्रसित होना ही दिखेगा।
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अधिकांश शहरों के गैंगस्टर गैर छत्तीसगढ़िया ही हैं, इन शहरों में राजनितिक प्रतिनिधित्व भी गैर छत्तीसगढ़ियों के हाथों में ही है,ये समीकरण बताता है की छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियों के वजूद पर संकट गहरा है, छत्तीसगढ़ ने जिन्हें प्रतिष्ठित किया उन्होंने छत्तीसगढ़ को आत्मसात नही किया, ना उन्हें छत्तीसगढ़ियों से और ना छत्तीसगढ़ की माटी से प्यार हुआ,वजहें अनेक हों सकती हैं पर एक वजह छत्तीसगढ़ियों का आत्मसंतोषी होना भी है । छत्तीसगढ़ की शांत फिजा में अपराध का जहर क्यों घोला जा रहा है ? जिस माटी ने रोजगार, आश्रय ,आशियाना और नाम दिया वहां अपराध ,अपराधियों को प्रश्रय देने की कौन सी मज़बूरी है ?प्रबंध संस्थान भी ऐसी शिक्षा नही दे सकते की कुछ वर्षो में अंडा ठेला चलाने वाला अरबपति बन जाये ,सूदखोरी का साम्राज्य खड़ा हों जाये बिना संरक्षण तो ये संभव नही है, मत छत्तीसगढ़ियों का ,जमीन छत्तीसगढ़ की और साम्राज्य गैर छत्तीसगढ़ियों का ऐसे में ना चाहते हुए भी स्थानीय और बाहरी का मुद्दा सुलगेगा ही, कौन सा समाज गढ़ने की कवायद हों रही है, औद्योगिकी करण ने प्रवासियों को छत्तीसगढ़ में मौके ही मौके दिए पर बदले में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों को क्या मिल रहा ?
छत्तीसगढ़ की उर्वर भूमि में अपराध की फसल क्यों बोई जा रही है? शराब ,खनन, ठेकेदारी से लेकर जहां -जहां माफिया सक्रीय हैं वहां -वहां सक्रीयता बाहरियों की ही है,येन केन प्रकारेण पैसा कमाना फिर राजनीतिक रसूख पा छत्तीसगढ़ का भाग्य विधाता बनने की कोशिशें जारी हैं ,ऐसे उद्धरणों से शहर के शहर अटे पड़े हैं, पुरे छत्तीसगढ़ की यही कहानी है ,संसाधनों के दोहन के साथ छत्तीसगढ़ियों का शोषण चालू है, माननीयों की मंशा भी विचित्र है, विधायक कालोनी के लिए मूल छत्तीसगढ़ियों के पैतृक भूमि को खाली करवाने में उन्हें रंज नही होता ,अपने आशियाने के लिए वों छत्तीसगढ़ियों का आश्रय छिन सकते हैं ,छत्तीसगढ़ियों कों बेदखल कर अपना आश्रय बना सकते हैं पर इन गैर छत्तीसगढ़ियों कों अपराध से मना नही कर सकते, तोमर बंधू के खिलाफ रायपुर के किस जन प्रतिनिधि की आवाज आपने सुनी पर नकटी में नाक कटाने सब तैयार हैं ,लाखों के वेतन ,भत्ते ,सुविधाओं के बाद रियायती दरों पर अपने लिए मकान की चाहत उन्हें ,तो आम छत्तीसगढ़िया को कम से कम अपराध से ही रियायत दिलवा देते, गुरु घासीदास की मनखे -मनखे एक समान की सूक्ति को मानने और समझने वाली छत्तीसगढ़ की धरा को क्यों कलंकित करने में तुले हुए हैं ? क्यों अपराधियों का महिमामंडन हों रहा कैसे वों रसूखदार हों खारुन पे दावा ठोक रहे ? छत्तीसगढ़ की विरासतों पे अवैध कब्ज़ा क्यों ? छत्तीसगढ़ की संस्कृति पे दुसरे प्रदेशों की संस्कृति का अतिक्रमण क्यों ? तालाबों में शीतला मंदिरों को नेपथ्य में ढकेलने का कुत्सित प्रयास क्यों ? संरक्षण अपराधियों का क्यों ? छत्तीसगढ़ के सामाजिक, आर्थिक ,राजनीतिक परिवेश का संरक्षण क्यों नही हों रहा ,उपेक्षा से कसमसाता छत्तीसगढ़ अपना धैर्य छोड़े उससे पहले आप अपनी कृतघ्नता और कुटिलता छोड़ें ,छत्तीसगढ़ में एक ही सवाल गूंज रहा ----------------------छत्तीसगढ़िया अस्मिता से खिलवाड़ आखिर कब तक?
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी
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