नई दिल्ली : आजकल गर्म हवाएं झुलसा रही हैं। तेज आज गर्मी से बचाव के लिए लोग एसी, पंखे, कूलर से अलग नहीं होना चाहते, पर जरूरत होने पर बाहर निकलना पड़ता है, जो आजकल एक बड़ी चुनौती की तरह है।कभी तेज गर्मी और कभी ठंडी जगह पर रहने के कारण इन दिनों त्वचा संक्रमण होने की आशंका रहती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए बाजार में उपलब्ध उत्पादों की खरीद से पूर्व भी सावधानी बरतना जरूरी है, ताकि उनके साइड इफेक्ट का खतरा न रहे। आइए जानते हैं स्किन को कैसे प्रभावित करता है ये मौसम-
शुष्कता और जलन
ज्यादा समय तक गर्म वातावरण में रहने से त्वचा में मौजूद नमी का संतुलन बिगड़ सकता है। साथ ही शरीर में पानी की कमी होने के कारण त्वचा रूखी हो सकती है। इसलिए, धूप में बाहर निकलते समय हमेशा सूती कपड़े से चेहरे को ढकना न भूलें।
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खुजली या दाद
शरीर में खुजली की समस्या कभी भी संभव है, पर उमस वाले मौसम में यह ज्यादा हो सकती है। अधिक बढ़ जाए तो यह दाद में भी बदल सकता है। दाद से बचाव के कई उपाय हैं- जैसे नीम के पत्ते या मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाना, ठंडे पानी का सेंक आदि।
मुंहासे की समस्या
जब पसीना आपकी त्वचा पर बैक्टीरिया और तेलों के साथ मिल जाता है, तो रोम छिद्रों, जिनसे पसीना निकलता है उन्हें बंद कर देता है। इससे मुंहासे होने का जोखिम रहता है। इससे बचाव के लिए साफ तौलिये या कपड़े से पसीना पोंछते रहना चाहिए।
एलर्जी या सनबर्न
कई बार इतनी तेज धूप होती है कि चेहरा जल जाता है। हाथ पैरों में एलर्जी हो जाती है। चेहरे पर सनबर्न हो जाता है। इनसे बचाव के लिए पूरा तन ढककर बाहर निकलें। अच्छी एसपीएफ वाली सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
हीट रैशेज या घमौरी
गर्मियों में घमौरी होना आम है। पसीने से खुजली करते-करते कई बार शरीर में घमौरी निकल आती हैं और लाल दाने दिखते हैं। कई बार ये दाने फट जाते हैं और इनसे पानी भी निकल सकता है। इनसे बचने के लिए ठंडा पाउडर लगाएं। आप आइस क्यूब से मसाज भी कर सकते हैं।
फॉलिकुलिटिस का खतरा
आपके शरीर पर हर बाल एक छिद्र से निकलता है, जिसे फॉलिकल कहते हैं। त्वचा के शुष्क होने पर फॉलिकल्स संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमित हेयर फॉलिकल्स मुंहासों की तरह दिखते हैं, लेकिन वे थोड़ा कम खुजली करते हैं। इससे बचाव के लिए व्यायाम या जिम आदि के बाद टाइट पसीने वाले कपड़े उतार देना चाहिए।
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स्किन के लिए न लें इंटरनेट मीडिया की सलाह
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. कवीर सरदाना ने बताया कि अगर आपकी स्किन ऑयली है, तो आपको सनस्क्रीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सनस्क्रीन के प्रयोग से मुंहासे और पिंपल के बढ़ने की आशंका रहती है। धूप से बचाव के लिए केमिकल वाली सनस्क्रीन के बजाय नेचुरल सनस्क्रीन का प्रयोग करें तो बेहतर है। स्टेरायड वाली क्रीम के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर दी जाने वाली सलाह का अंधाधुंध उपयोग भी त्वचा संबंधी परेशानियां बढ़ा रहा है।
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