रोज क्यों बदली जाती जगन्नाथ मंदिर की पताका? आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य?

रोज क्यों बदली जाती जगन्नाथ मंदिर की पताका? आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य?

ओड़िशा:- ओड़िशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में तो लगभग लोगों ने सुना ही होगा. इस मंदिर ध्वज से लेकर मूर्ति और सीढ़ियों तक में कोई ना कोई रहस्य छिपा हुआ है. वहीं कुछ रहस्य तो ऐसे भी जिनका आज को कोई भी पता ही नहीं लगा पाया है. लेकिन एक काम जो इस मंदिर में बिना भूल रोज किया जाता है. वह हैं मंदिर के शिखर पर लगी पताका बदलना. जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर रोज एक नई पताका लगाई जाती है. कई बार लोगों के मन में ये सवाल भी आता होगा की वैसे तो मंदिरों की पताका पुरानी होने या फटने पर बदली जाती है, लेकिन यहां ऐसा क्यों किया जाता है.

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रोज क्यों बदली जाती जगन्नाथ मंदिर की पताका?

भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर में आयोजित होने वाली रथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. जिसके लिए यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. वहीं जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगे झंड़े को रोज बदला जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मान्यता है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा. मंदिर की पताका बदलने को लेकर एक कथा प्रचलित हैं कि एक बार भगवान जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के सपने में आए और यह दिखाया कि मंदिर का ध्वज पुराना और फटा हुआ है, जिसके बाद अगले दिन पुजारियों ने देखा की झड़ा सच में पुराना हो गया था.

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जगन्नाथ मंदिर के अनसुलझे रहस्य

जगन्नाथ मंदिर के अन्य रहस्यों की बात की जाए तो यहां बहुत सी हैरान करने वाली रहस्यमयी घटनाएं होती है. माना जाता है कि इस मंदिर में रखी मूर्ति के अंदर आज भी भगवान श्री कृष्ण का हृदय धड़क रहा हैं. यह मंदिर समुद्र के सामने स्थित है लेकिन मंदिर द्वार के अंदर प्रवेश करते है समुद्र की लहरों से निकलने वाली ध्वनि सुनाई देनी बंद हो जाती है. मंदिर की रसोई भी बेहद हैरान करने वाली है. भगवान जगन्नाथ का जितना भी महा प्रसाद बनता है, वो सात मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता है. यह सातों बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि सबसे पहले प्रसाद सातवें बर्तन में तैयार हो जाता है. साथ ही मंदिर के शिखर पर लगे सुदर्शन चक्र किसी भी दिशा से देखने पर ऐसा लगता है कि उसका मुख आपकी ही तरफ है. यहीं नहीं मंदिर की छाया भी अदृश्य रहती है. मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या विमान नहीं गुजरता. इसके अलावा मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य भी बेहद हैरान करने वाला है.









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