गर्मी के मौसम में जहां लोग बढ़ते तापमान से परेशान हैं, वहीं छतरपुर जिले के कुछ ग्रामीण इलाकों में ऐसे घर भी हैं जहां कूलर या पंखे की जरूरत नहीं पड़ती. इन घरों का तापमान वातावरण के तापमान से काफी कम रहता है. इसका कारण है पुराने घरों की खास बनावट.
रामपुर गांव की रहने वाली केशकली बताती हैं कि पहले गांव में ऐसे ही घर बनाए जाते थे, जो गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी का एहसास देते थे. उनका घर 40 साल पुराना है और इसे मिट्टी से बनाया गया था. केशकली बताती हैं कि गांव के लोग पहले अपने हाथों से ही घर बनाते थे. वे दोहरे घर बनाते थे ताकि गर्मी का एहसास न हो.
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1 मीटर मोटी दीवारें
केशकली बताती हैं कि ये घर कच्चे होते थे, जिनमें मिट्टी की 1 मीटर मोटी दीवारें बनाई जाती थीं. साथ ही लकड़ियों के सहारे लेंटर डालकर इन्हें दोहरे खंड में बनाया जाता था. इन घरों में लगी लकड़ियां भी 40 साल पुरानी हैं.
फ्रिज की जरूरत नहीं
केशकली बताती हैं कि इन घरों में बिना बिजली के भी रहा जा सकता है, क्योंकि यहां का तापमान सामान्य रहता है. चाहे बाहर का तापमान कितना भी हो, इन घरों में बिना कूलर या एसी के आराम से रहा जा सकता है. फ्रिज की जरूरत नहीं केशकली बताती हैं कि इन घरों में रेफ्रिजरेटर की जरूरत नहीं पड़ती. हमारे घरों में सब्जियां ऐसे ही रखी रहती हैं और खराब नहीं होतीं.
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