हर महीने आने वाली अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। पितरों को देव तुल्य माना जाता है। हर शुभ काम में यहां तक कि विवाह के मौके पर भी उनका आह्वान किया जाता है। जिस घर में पितृ प्रसन्न होते हैं, वहां सुख और संपत्ति के साथ परिवार में वृद्धि होती है।
जिन लोगों के पितृ तृप्त नहीं होते हैं, जिनकी आत्मा को मोझ नहीं मिल पाता है, उन घरों में क्लेश, विवाद, आर्थिक और शारीरिक परेशानी आने के साथ ही तरह-तरह की मुसीबतें आती हैं। कुंडली में भी पितृ दोष होने पर समस्या और गंभीर हो जाती है। ऐसे में अमावस्या तिथि पर पितरों को संतुष्ट करने और उनकी आत्मा की शांति करने के लिए कुछ उपाय हर किसी को करने चाहिए। यह दिन स्नान, दान और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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आषाढ़ महीने की अमावस्या तिथि 24 जून को शाम 7 बजे शुरू होगी और 25 जून को शाम 4 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि को लेने की वजह से 25 जून 2025 को बुधवार के दिन अमावस्या तिथि मनाई जाएगी। आइए जानते हैं पितरों की तृप्ति के लिए अषाढ़ अमावस्या को आप कर सकते हैं क्या उपाय…
ऐसा होने पर लगता है पितृ दोष
कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति हो। लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। इसके अलावा कुछ अन्य स्थितियां कुंडली में बनने पर पितृ दोष होता है, जिसकी जानकारी किसी योग्य ज्योतिषी से लेनी चाहिए।
ये परेशानियां आती हैं जीवन में
ये उपाय करने चाहिए
अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो बाल्टी में पहले गंगाजल डालें फिर उसमें नहाने का पानी मिला लें। उस जल से स्नान करें। इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण, अर्पण करें।
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पितरों की तस्वीरों को साफ करके फूल-माला चढ़ाएं। कौआ, चिड़िया, गाय, कुत्ते को रोटी खिलाएं और राहु काल में भगवान शिव की पूजा करें।
घर की दक्षिण दिशा में अमावस्या की रात में काले तिल डालकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितरों प्रसन्न होते हैं। रात में पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक लगाने से भी पितरों को शांति मिलती है।
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