नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट सिंगल मदर के बच्चे को ओबीसी प्रमाणपत्र देने की मांग पर विचार करेगा। शीर्ष अदालत ने सोमवार को मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए दिल्ली की एक सिंगल मदर की याचिका को 22 जुलाई को विस्तृत सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट इस मामले में भविष्य के लिए दिशा-निर्देश तय कर सकता है।
इस मामले में सिंगल मदर ने पिता के परिवार के संदर्भ के बगैर खुद के ओबीसी होने के आधार पर बच्चे को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की है। सोमवार को सिंगल मदर (अकेली मां) की याचिका न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। कोर्ट ने मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।
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कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की प्रति सभी राज्यों के अधिकृत वकीलों को दे और राज्य चाहें तो अपना पक्ष रख सकते हैं। मौजूदा मामला दिल्ली का है। याचिका में दिल्ली सरकार के अलावा केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है।
केंद्र की ओर से सोमवार को पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) ने बताया कि इस मामले में कोर्ट ने गत 31 जनवरी को नोटिस जारी किया था और सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया है। एएसजी ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। सभी राज्यों को भी सुना जाना चाहिए, क्योंकि प्रमाणपत्र राज्य जारी करते हैं। हर राज्य अपने यहां अलग से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) चिह्नित करता है।
सिंगल मदर के बच्चे के ओबीसी प्रमाणपत्र मिले
इस पर पीठ ने कहा कि यहां मुद्दा चिह्नित करने का नहीं है। यहां मुद्दा सिंगल मदर के बच्चे को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने का है। पीठ ने पूछा कि क्या उन लोगों ने कोर्ट का 2012 का फैसला देखा है, जो माता के एससी-एसटी वर्ग का होने के मामले में है। एएसजी ने कहा कि इस मामले में अथॉरिटी को कोर्ट से स्पष्ट दिशा-निर्देश चाहिए होंगे। कई पहलुओं पर विचार होना चाहिए और इसके लिए विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।
इसी बीच पीठ ने सवाल किया कि उन मामलों में क्या होगा, जहां मां ने अंतरजातीय विवाह किया हो। मां ओबीसी वर्ग की न हो। कोर्ट ने पक्षकारों से इस पहलू पर बहस के लिए तैयार होकर आने को कहा है।इस मामले में सिंगल मदर की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि वह खुद ओबीसी है। इसके आधार पर बच्चे को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया जाए।
क्या कहता है नियम?
अभी दिल्ली में नियम के अनुसार, ओबीसी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए बच्चे को पिता के पक्ष के किसी भी रक्त संबंधी चाचा, बाबा, पिता का ओबीसी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होता है। याचिका में इस नियम को भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा गया है कि यह नियम सिंगल मदर के सामने कठिनाई पेश करता है।
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याचिकाकर्ता का कहना है कि जब एससी वर्ग की सिंगल मदर के बच्चे को मां की जाति के आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है, तो ओबीसी के मामले में भी किया जाना चाहिए। कोर्ट ने पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है।

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