रायगढ़ :जिले में कोटवारी जमीनों को हड़पने वाले आज भी मौज में हैं। सरकार के आदेश के बावजूद राजस्व विभाग ने न तो रिकॉर्ड दुरुस्त किए और न ही पजेशन लिया। कोटवारी जमीन हथियाने के एक मामले में नायब तहसीलदार न्यायालय ने नवदुर्गा फ्यूल्स को 2.359 एकड़ जमीन वापस करने का आदेश दिया है। यह प्रकरण सराईपाली, गेरवानी का है। नवदुर्गा फ्यूल्स के प्लांट स्थापना के लिए कोटवारी भूमि खनं 395/2 रकबा 0.955 हे. (2.359 एकड़ ) भी अंदर ले ली गई। पूर्व कोटवार बसंत कुमार चौहान की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी सुलोचनी चौहान ने जमीन वापसी के लिए आवेदन किया।
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तब पता चला कि बसंत चौहान ने 20 मई 2005 को एक सहमति पत्र दिया था। ग्राम पंचायत सराईपाली ने भी अनापत्ति दी गई। प्लांट प्रबंधन ने जमीन तबादले का आवेदन दिया था। कंपनी चाहती थी कि कोटवारी भूमि के बदले दूसरी जमीन दी जाए। नायब तहसीलदार न्यायालय में सुनवाई के दौरान पाया गया कि भूमि तबादले का आवेदन कोटवार की ओर से नहीं लगाया गया बल्कि प्लांट मैनेजर राकेश पांडे की ओर से प्रस्तुत किया गया था। उक्त भूमि सेवा भूमि है जो कोटवार को जीवन-यापन के लिए दी गई थी। इसे बेचने या तबादले का अधिकार कोटवार को नहीं होता। केवल कलेक्टर ही कोई निर्णय ले सकता है।
जिस भूमि का मालिक बसंत चौहान नहीं था, उसको प्लांट को देने का अधिकार उसको नहीं था। ग्राम पंचायत की एनओसी भी अवैध है। सुलोचनी चौहान का कहना था कि इसके बदले उसके पति को एक लाख रुपए दिए गए थे। अब उसने कंपनी से 80 लाख रुपए का हर्जाना और जमीन वापसी की मांग की। नायब तहसीलदार ने पाया कि उक्त भूमि सेवा भूमि है जो अहस्तांतरणीय होती है। इसलिए इसे कोटवार को वापस करने का आदेश दिया गया है।
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ऐसे सैकड़ों मामले, रायगढ़ तहसील में सबसे ज्यादा
कोटवारी जमीन को हड़पने के लिए कोटवारों को लालच दिया गया। इस वजह से कोटवारी जमीनों की खरीदी-बिक्री भी हो गई। एक गिरोह की तरह कुछ पटवारियों ने जमीन कारोबारियों को कोटवारी जमीनें खरीदने बिक्री नकल दे दिए। राजस्व मंडल ने बिना अधिकार के कोटवारी जमीनों के अंतरण की अनुमति दी थी जिसे बाद में पुनर्विलोकन में लेकर निरस्त किया गया। ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए थे लेकिन राजस्व विभाग ने मामला दबा दिया।
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