नई दिल्ली : खरीफ के लिए 29 मई से 12 जून तक चलाए गए विकसित कृषि अभियान की सफलता से उत्साहित कृषि मंत्री शिवराज ¨सह चौहान अब रबी फसलों के लिए भी 'क्राप वार' अभियान चलाने की तैयारी में हैं। इसमें प्रमुख रूप से दलहन, तिलहन, सोयाबीन, कपास एवं गन्ना आदि फसलों को शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण फसलों में उत्पादकता बढ़ाना, आयात निर्भरता कम करना, किसानों की आय बढ़ाना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को अग्रणी बनाना है।
खरीफ फसलों की तरह इसमें भी विज्ञानियों की टीम खेतों में जाकर समस्याओं का समाधान तलाशेगी। इसकी तिथि अभी तय होनी है, लेकिन अभी सोयाबीन, कपास एवं गन्ने की फसल में रोग के निदान पर सरकार गंभीर है। ''''लैब टू लैंड'''' अभियान के दौरान 60 हजार से ज्यादा गांवों में 16 हजार विज्ञानियों की अलग-अलग टीम पहुंची।
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किसानों से बातचीत में पता चला कि तीन प्रमुख फसलों सोयाबीन, कपास एवं गन्ना में रोग ज्यादा लग रहे हैं। इससे किसानों की परेशानी बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। सोयाबीन में पीला मौजेक रोग लग रहा है और कपास में गुलाबी सुंडी कीट का प्रकोप है। गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग भी तेजी से फैला है। इनका समाधान तलाशना जरूरी है। कृषि मंत्री ने किसानों के सुझावों के आधार पर विज्ञानियों को तीनों फसलों की समस्याओं का शोध के जरिए अविलंब समाधान तलाशने का निर्देश दिया।
अभियान के दौरान किसानों ने जो समस्याएं बताई, उसे कृषि मंत्री शिवराज ¨सह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के विज्ञानियों को चुनौती के रूप में लेने का निर्देश दिया। अभियान के फीडबैक में आया कि पीला मौजेक रोग के चलते सोयाबीन की पैदावार 50 से 60 प्रतिशत तक कम हो जा रही है। इसके समाधान के लिए गुरुवार को इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों के साथ विमर्श होगा।
कपास किसानों ने गुलाबी सुंडी कीट की शिकायत की है, जिससे कपास का उत्पादन लगातार गिर रहा है। इसके समाधान के लिए कोयंबटूर स्थित कपास अनुसंधान संस्थान को जिम्मेवारी दी जाएगी। इस बार गन्ने की फसल में रेड राट (लाल सड़न) तेजी से फैला है, जिसके चलते चीनी उत्पादन में गिरावट आई है। विज्ञानियों को इस चुनौती से भी निपटने का लक्ष्य दिया गया है।
कृषि मंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि अभियान के दौरान जो कुछ भी देखा-सुना और अनुभव किया है, उन्हें सिर्फ फाइलों में कैद नहीं करना है, बल्कि समाधान के लिए अविलंब पहल शुरू कर देनी है। अभियान के दौरान जो फीडबैक आया है, उसी के आधार पर कृषि के विकास के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। चालू योजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा। अप्रासंगिक को खत्म कर नई और बेहतर योजनाएं लाई जाएंगी।
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