क्या एक जादुई खुराक डिप्रेशन से 5 साल की राहत दे सकती है? रिसर्च  में हुआ खुलासा

क्या एक जादुई खुराक डिप्रेशन से 5 साल की राहत दे सकती है? रिसर्च में हुआ खुलासा

 नई दिल्ली :  क्या आपने कभी सोचा है कि डिप्रेशन के अंधेरे को चीरने के लिए बस एक छोटी-सी खुराक काफी हो सकती है? एक ऐसी खुराक जो आपको सालों के बोझ से आजादी दिला दे? हाल ही में हुए एक मेडिकल स्टडी ने कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस शोध के मुताबिक, 'मैजिक मशरूम' में पाया जाने वाला एक खास एंजाइम, जिसे साइलोसाइबिन कहते हैं, कैंसर के मरीजों में डिप्रेशन और एंग्जायटी को कम करने में एक अविश्वसनीय उम्मीद बनकर उभरा है।

क्या है मैजिक मशरूम और इसका असर?

मैजिक मशरूम में पाया जाने वाला प्राकृतिक एंजाइम साइलोसाइबिन (Psilocybin) अब मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट की दिशा में नई क्रांति ला सकता है। यह एंजाइम मस्तिष्क में ऐसे बदलाव लाता है, डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं। खास बात यह है कि एक ही खुराक के साथ सही तरीके से की गई थेरेपी, लंबे समय तक असर दिखा सकती है।

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नई रिसर्च से क्या पता चला?

हाल ही में, अमेरिका के शोधकर्ताओं ने एक छोटे पैमाने की स्टडी की जिसमें 28 कैंसर मरीजों को शामिल किया गया। ये सभी डिप्रेशन से पीड़ित थे। उन्हें 25 मिलीग्राम साइलोसाइबिन की एक खुराक दी गई, लेकिन यह दवा अकेले नहीं दी गई- इसके साथ-साथ पेशेवर मनोवैज्ञानिकों की देखरेख में थेरेपी भी शामिल रहा।

2 साल बाद जब मरीजों का फॉलो-अप किया गया, तो नतीजे हैरान करने वाले थे:

  1. 53% मरीजों में डिप्रेशन के लक्षणों में गहरी कमी देखी गई।
  2. 50% मरीजों में तो डिप्रेशन पूरी तरह खत्म हो गया था।
  3. 43% मरीजों में चिंता के स्तर में भी काफी सुधार हुआ।

केवल एक खुराक, पर असर कई सालों तक

डॉक्टर मनीष अग्रवाल, जो इस शोध के प्रमुख लेखक हैं, बताते हैं, "सिर्फ एक बार की साइलोसाइबिन थेरेपी से डिप्रेशन में इतना लंबा आराम मिलना बहुत बड़ी बात है। अब हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर यही इलाज दोहराया जाए, तो क्या इससे और भी अधिक मरीज पूरी तरह डिप्रेशन और चिंता से मुक्त हो सकते हैं।"

मेंटल हेल्थ के लिए आशा की नई किरण

शोधकर्ता अब एक और बड़े स्तर की स्टडी पर काम कर रहे हैं जिसमें ज्यादा मरीज, दोहरी खुराक और प्लेसबो के साथ तुलना शामिल है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि क्या साइलोसाइबिन को एक मानक उपचार के रूप में अपनाया जा सकता है, खासकर कैंसर से जूझ रहे उन मरीजों के लिए जो मानसिक रूप से बेहद कमजोर हो जाते हैं।

सावधानी भी है जरूरी

हालांकि इस रिसर्च के नतीजे बहुत आशाजनक हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि साइलोसाइबिन को बिना चिकित्सा निगरानी के इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है। यह दवा किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं है और इसका सेवन केवल नियंत्रित माहौल में, प्रशिक्षित चिकित्सकों की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।

यह स्टडी बताती है कि भविष्य में साइलोसाइबिन आधारित थेरेपी, खासकर कैंसर पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य सुधार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। सिर्फ एक बार की खुराक से सालों तक राहत मिलना न सिर्फ विज्ञान के लिए उत्साहजनक है, बल्कि लाखों मरीजों के लिए भी एक नई उम्मीद है।

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