रायपुर : भारतमाला परियोजना में करोड़ों रुपये के मुआवजा घोटाले में फंसे निलंबित एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और तीन पटवारियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। इन सभी के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपराध दर्ज किया है, लेकिन लगातार समन और गिरफ्तारी वारंट के बावजूद ये सभी फरार हैं। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम रायपुर नीरज शर्मा की अदालत ने अब इन सभी आरोपियों को 29 जुलाई 2025 को अदालत में पेश होने का अंतिम मौका दिया है।
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यह हैं आरोपी अधिकारी
निर्भय कुमार साहू, तत्कालीन एसडीएम (निलंबन के समय जगदलपुर नगर निगम आयुक्त)
शशिकांत कुर्रे, तहसीलदार
लखेश्वर किरण, नायब तहसीलदार
जितेंद्र साहू, पटवारी
बसंती धृतलहरे, पटवारी
लेखराम देवांगन, पटवारी
इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज है। गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था, लेकिन पुलिस और एजेंसियों ने यह कहते हुए वारंट लौटा दिया कि आरोपी "मिल नहीं रहे हैं"।
घोटाले का पूरा मामला
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत विशाखापट्टनम से रायपुर तक बनने वाले कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण के दौरान भारी गड़बड़ी सामने आई। आरोप है कि राजस्व अधिकारियों ने भूमाफियों को करोड़ों का अनुचित मुआवजा दिलवाया। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े से सरकार को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
अब तक की कार्रवाई
मार्च 2025 में घोटाले के सामने आने के बाद आरोपी अधिकारियों को निलंबित किया गया।
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राज्य सरकार ने जांच EOW को सौंपी।
आरोपियों से पूछताछ के लिए कई बार समन जारी, लेकिन कोई हाजिर नहीं हुआ।
कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद भी सभी फरार चल रहे हैं।
अब विशेष कोर्ट ने 29 जुलाई 2025 को कोर्ट में पेश होने का आदेश जारी किया है।
अगर ये सभी आरोपी अब भी उपस्थित नहीं होते, तो न्यायालय आगे कड़ी कार्रवाई कर सकता है, जिसमें फरार घोषित करना, सम्पत्ति कुर्की, और गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम का गठन शामिल हो सकता है।
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