आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब सिर्फ़ बड़े-बुज़ुर्ग ही नहीं, बल्कि कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में, बॉलीवुड एक्ट्रेस शेफाली ज़रीवाला का निधन भी दिल से जुड़ी बीमारी के कारण हुआ, जो इस बात का एक दुखद उदाहरण है कि यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है।
यह ज़रूरी है कि हम अपने दिल की सेहत को गंभीरता से लें, क्योंकि हृदय रोग रातों-रात नहीं होते, बल्कि ये हमारी रोज़मर्रा की आदतों का ही नतीजा होते हैं। कुछ अच्छी आदतों को अपनाकर हम अपने दिल को मज़बूत और स्वस्थ रख सकते हैं।
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खाने के बाद टहलें
लंच या डिनर के बाद थोड़ी देर टहलना आपके दिल के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। सिर्फ़ 10 मिनट की सैर भी रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकती है। यह पाचन में मदद करता है और आपके चयापचय (metabolism) को बेहतर बनाता है। यह एक आसान और असरदार तरीका है जो आपके व्यस्त शेड्यूल में भी आसानी से फ़िट हो सकता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड को डाइट में शामिल करें
ओमेगा-3 फैटी एसिड दिमाग के कामकाज, दिल की सेहत और सूजन को कम करने के लिए ज़रूरी है। अपने खाने में सैल्मन, सार्डिन जैसी फैटी मछली, अलसी और अखरोट शामिल करें। आप इसके सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। यह पुरानी बीमारियों को रोकने और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है।
पूरी नींद लें
अच्छी नींद कोई लग्ज़री नहीं, बल्कि एक ज़रूरत है। हर रात 7-9 घंटे की गहरी नींद लें। नींद की कमी से कमज़ोर इम्यूनिटी, वज़न बढ़ना, मानसिक थकावट, और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। नींद को अपने खान-पान या व्यायाम की तरह ही गंभीरता से लें।
प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील का इस्तेमाल करें
प्लास्टिक के बर्तनों में खाने-पीने की चीज़ें रखने से BPA और phthalates जैसे हानिकारक रसायन उनमें मिल सकते हैं। ये रसायन हार्मोन को प्रभावित करते हैं और प्रजनन संबंधी समस्याओं, चयापचय संबंधी गड़बड़ियों और यहाँ तक कि कैंसर से भी जुड़े हैं। कांच या स्टेनलेस स्टील के कंटेनर का इस्तेमाल करके आप अपने शरीर में ज़हरीले पदार्थों के प्रवेश को कम कर सकते हैं।
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अपने लिपिड स्तर की जाँच करवाते रहें
वज़न या BMI पर ध्यान देने के अलावा, नियमित रूप से रक्त परीक्षण (blood tests) कराएँ। LDL कोलेस्ट्रॉल, CRP (C-रिएक्टिव प्रोटीन), और फ़ास्टिंग इंसुलिन जैसे स्तरों की निगरानी करने से आपको अपने हृदय और चयापचय स्वास्थ्य का सही अंदाज़ा मिलता है। ये परीक्षण लक्षणों के आने से बहुत पहले ही समस्याओं की पहचान कर सकते हैं, जिससे रोकथाम करना आसान हो जाता है।
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