खेती में सही समय और सही फसल का चुनाव किसान की आमदनी बढ़ाने में बड़ा रोल निभाता है. अगर किसान मौसम के अनुसार खेती करें और वैज्ञानिक सलाह मानें तो कम लागत में भी बेहतर उत्पादन लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यही वजह है कि कृषि विशेषज्ञ समय-समय पर किसानों को फसल और खेती से जुड़ी जरूरी सलाह देते हैं.
इसी कड़ी में आत्मा परियोजना के उप परियोजना निदेशक डॉ. रमेश चंद्र यादव ने जुलाई महीने में सब्जी की खेती को लेकर किसानों को जरूरी सुझाव दिए हैं. उनका कहना है कि जुलाई का महीना सब्जी उत्पादन के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है क्योंकि इस दौरान पर्याप्त बारिश और अनुकूल तापमान की वजह से पौधों की बढ़वार तेज होती है. साथ ही इस मौसम में कीट और बीमारियों पर नियंत्रण भी अपेक्षाकृत आसान होता है, जिससे फसल का नुकसान कम होता है.
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी – दवा ,दारू दोनों में भ्रष्टाचार का नशा
जुलाई में इन सब्जियों की खेती है सबसे फायदेमंद
डॉ. यादव ने बताया कि जुलाई में भिंडी, लौकी, नेनुआ, करेला, परवल, शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर और मिर्च जैसी सब्जियों की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. इनमें से अधिकतर फसलें 45 से 75 दिनों में तुड़ाई के लायक हो जाती हैं, जिससे कम समय में किसान अच्छी आमदनी ले सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भिंडी की खेती इस समय बेहद उपयुक्त होती है. नमी वाली मिट्टी में भिंडी का उत्पादन अच्छा होता है. अगर किसान रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करें तो फसल पर कीट और पत्तियों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. इसके अलावा लौकी, करेला और नेनुआ जैसी बेल वाली सब्जियां भी इस मौसम में बहुत अच्छी होती हैं. इनकी मांग पूरे मानसून सीजन में बनी रहती है, जिससे किसान लगातार मुनाफा कमा सकते हैं.
टमाटर की ये किस्म है फायदेमंद
बैंगन और मिर्च की खेती जुलाई में करने पर अक्टूबर-नवंबर तक अच्छी पैदावार मिलती है. टमाटर की खेती के लिए किसान संकर किस्मों का चयन करें तो लंबे समय तक लगातार उत्पादन मिलता है. वहीं शिमला मिर्च ठंडी और नमी वाली जलवायु में अच्छी होती है. जुलाई का मौसम इसकी रोपाई के लिए बेहद अनुकूल होता है.
ये भी पढ़े : मौसमी खेती बनी कमाई का मंत्र,इस खेती से किसान हों रहे मालामाल
खेती में अपनाएं ये तकनीक, बढ़ेगा उत्पादन
डॉ. यादव ने बताया कि अगर किसान सब्जी की खेती में जैविक खाद, ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो उत्पादन बढ़ सकता है और लागत भी कम होती है. इसके अलावा अगर किसान अपनी फसल को समय से स्थानीय मंडियों और थोक बाजारों में पहुंचाएं तो उन्हें बेहतर दाम मिल सकते हैं.
Comments