देशभर में किसान भाई खरीफ की खेती के काम में जुट गए हैं. वहीं, बालाघाट एक धान उत्पादक जिला है. ऐसे में धान की खेती की तमाम प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन लोग अब आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन आधुनिक भारत में खेती की पुरानी पद्धति विलुप्त होती जा रही है. इसके लिए लोग तरीके के साथ बीजों में भी बदलाव कर रहे हैं. किसान भाई ज्यादा उत्पादन के लिए हाइब्रिड का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन इसके साथ कुछ समस्याएं हैं, जो किसान भाइयों को कुछ सताती है. मसलन, बीजों की ज्यादा कीमत और बीमारियों का डर. ऐसे में किसान भाईयों के सामने बेहतर उत्पादन के लिए क्या विकल्प है.
ऐसे किसान से मुलाकात की, जिन्होंने इस समस्या का समाधान खोज निकाला है. दरअसल, बालाघाट जिले के किसान राजकुमार चौधरी एक अनुभवी किसान हैं, जो पूरी तरह जैविक खेती करते हैं, और परम्परागत देशी बीजों का उपयोग कर रहे है. साथ ही धान की खेती को फायदे का धंधा बना रहे है.
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देसी बीजों से किसानों को होगा लाभ
बालाघाट जिले के उन्नत किसान राजकुमार चौधरी ने बताया कि देशी परंपरागत बीजों की तरफ से आज का किसान दूर होता जा रहा है. जबकि देशी परम्परागत धान के बीज यहां की मिट्टी के अनुकूल होते हैं, तथा इनके लिए अलग से बाजारों में खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती. किसान साथी इन देसी परम्परागत किस्मों के बीज घर पर ही तैयार कर सकते हैं, और खर्चीली खेती से बच सकते हैं, इसके अलावा कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर मोटा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
देशी बीजों का ऐसे होता है बीज उपचार
राजकुमार चौधरी बताते हैं कि देशी परंपरागत बीजों के चयन के बाद उन्हें अच्छी तरह से उपचारित कर लिया जाए, ताकि बेहतर किस्म के धान बीज प्राप्त हो सके, इसके लिए उन्होंने आसान सा तरीका बताया. सबसे पहले देशी धान बीजों को उपचारित करने के लिये नमक और पानी का घोल एक बाल्टी में बना लें, पानी में नमक की मात्रा कितनी हो, इसके लिये एक अंडा लें, उसे नमक के घोल वाले पानी में डाल दें. और देखें कि अंडा पानी में बैठ गया या फिर ऊपर आ गया है. अगर अंडा पानी में बैठा है तो अभी बीज उपचार के लिये उपयुक्त घोल तैयार नहीं हुआ है. बाल्टी के पानी मे तब तक नमक की मात्रा मिक्स करें जब तक अंडा पानी में ऊपर तैरने न् लगे. अगर अंडा पानी में ऊपर तैरने लगा है, तो समझ लें कि अब उपयुक्त घोल बनकर तैयार है, जिसे अति संतृप्त अवस्था कहते हैं. इस तरह के नमक और पानी के घोल में अब देशी बीज को डाल दें और जो बीज ऊपर आ गया उसे हटा दें और पानी में नीचे बैठे हुए धान बीज को अलग निकाल कर रख लें.
बीज अमृत करेगा फायदे का सौदा
ज्यादा उत्पादन के लिए बीज अमृत से उपचार करना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले गाय का गोबर तकरीबन एक किलो ले लें इसे सूती कपड़े में बांध कर दो लीटर पानी से भरे टब में रात भर रख दें. सुबह गोबर को निचोड़ कर उसमें दो लीटर गौमूत्र, सौ ग्राम हल्दी, और सौ ग्राम चूना मिला दें, इस तरह ये बीज अमृत बनकर तैयार हो गया. अब इसे बीज में मिला दें ताकि बीज के ऊपर इसकी परत चढ़ जाए. अब धान का बीज पूरी तरह से उपचारित और रोगों से लड़ने की क्षमता के साथ अधिक उत्पादन देने लायक बन चुका है. इस बीज की समय पर बुआई करें, और समय पर रोपा लगाकर किसान साथी कम लागत में अधिक उत्पादन लेकर परम्परागत देशी बीजों से भी खेती को लाभ का धंधा बना सकता है.
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देशी बीजों की खेती से होगा किसानों का फायदा
देशी परंपरागत बीजों से तैयार हुई फसलों से प्राप्त अनाज की खासियत यह है कि ये स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर होते हैं. इसके अलावा देशी बीज को स्वयं ही घर पर उपचारित कर बेहतर बनाया जा सकता है. वहीं इन बीजों में किट का प्रकोप न के बराबर होता है.
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