मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

2 जुलाई 2025 :मानसून की रिमझिम फुहारें अब वर्षा बन बरस रही, फसलों की बुवाई हों रही ,धन धान्य की आस लिए छत्तीसगढ़िया धान के कटोरे को अपने श्रम से भरने के लिए उद्वेलित है ,राजनीति ऐसे में कैसे चुप रहती आषाढ़ में राजनीति भी अपनी फसल बोने की तैयारी में है,मैनपाट में भाजपा सत्ता संगठन की खाई पाटने की तैयारी में हैं ,तो कांग्रेस राजधानी में किसान-जवान-संविधान सभा कर रही है । भाजपा सुशासन का कह नही रही कांग्रेस आदिवासियों को याद नही कर रही दोनों की अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं,चौसठ करोड़ के आबकारी  घोटाले के आरोप में सहज अनपढ़ आदिवासी पूर्व मंत्री कवासी लखमा जेल में अपनी लक {किस्मत}  पे रो रहे ,एकमात्र पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मंत्री जो जेल में अपने दुर्दिनो से व्यथित हैं ,प्रतिभा शिक्षा और संसाधन की मोहताज नही होती ,कवासी उसके पर्याय थे सत्ता के एश्वर्य ने उनकी सहजता को घेर लिया ,अनपढ़ आदिवासी माननीय मंत्री तो बन गया पर पूरा मान घट गया । अपार बहुमत की कांग्रेसी  सरकार ,सरकार की जगह दाऊ दलाल गिरोह बन गई ,घोटालों पर घोटाले अनवरत् घोटालों की लंबी फेहरिस्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी अधिकारी ,व्यापारी ,राजनीतिज्ञ सब एकमुखी हों गए सब दाऊ दलाल गिरोह के सक्रिय सदस्य हों गए। 

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दवा ,दारु ,रेत ,कोयला ,शिक्षा ,नौकरी ,मुआवजा ,सट्टा जैसे सारे अवैध कारनामों को पूरा राजनीतिक संरक्षण ही नही प्राप्त हुआ बल्कि भ्रष्टाचार को पल्लवित पोषित करने के लिए पूरा तंत्र स्थापित कर अपने गुर्गो को अवैध कमाई की निगेहबानी सौपी गई ,आरोप की सत्यता न्यायालय में प्रमाणित होनी है पर जो राजनीतिक दल जनता की अदालत को सर्वोच्च मानती है वों जनता की अदालत में लुटने पीटने के बाद भी पूरी बेशर्मी से लोकतंत्र और संविधान की बात कर रही, क्यों एक अकेला आदिवासी पूर्व मंत्री बलि का बकरा बनाया जा रहा?  क्यों आज तक पूर्व आबकारी आयुक्त गिरफ्त में नही आया / नामजद आबकारी अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा?  क्या बिना आबकारी विभाग के सरकार नही चल सकती या  सरकार के प्राण आबकारी में ही बसे हैं ? क्या ये घोटाला जितने का दस्तावेजी बताया जा रहा है उतने का ही है या फिर बहुत कुछ छुपाया जा रहा है ? घपले घोटालों में पटवारी ,तहसीलदार ,SDM,DM, पुलिस के कर्मचारी अधिकारी कई विभागों के कर्मचारी राजपत्रित अधिकारी जेल भ्रमण कर आये, पर बहुतों का बाल बांका भी नही हुआ ये कैसी जादूगरी है। 

दिल्ली से निकला एक रुपया गाँव पहुँचते तक 15 पैसे हों जाता है, राजीव गाँधी की इस सूक्ति को भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पीछे छोड़ दिया ,जिले में जिले के लिए निकले DMF का 10 पैसा भी गाँवो तक नही पहुंचा, जिलाधीशो ने भ्रष्टाचार के नए मानक गढ़े, जिलाधीश पति ने जिलाधीश पत्नी को भूमि मुआवजा दे प्रशासन को घर में ही गिरवी रख दिया, क़ानूनी नैतिकता भी कराह रही है ,पूर्व कोषाध्यक्ष कांग्रेस का कथित 52 करोड़ लेकर फरार है, कांग्रेस मौन हैं ,रक्षक ही भक्षक हैं फिर भी भक्षक पूरी बेशर्मी से अपने आप को रक्षक बता रहे हैं । पुनिया ने पनिया की धारा नही बताई होगी ऐसा तो नही होगा,ये हों सकता है की पुनिया खुद भ्रष्टाचार की पनिया में नहा रहे होंगे, ढाई साल का फार्मूला परवान नही चढ़ा बदलाव नही हुए क्योंकि हराम की वसूली उपर तक पहुँच रही होगी ,अपने ही हाथों से अपने व्यक्तित्व को कोई कलंकित क्यों करेगा ? क्यों जानबूझकर राजनीतिक ग्रहण को अंगीकार करेगा,जो तंत्र मंत्र के उपयोग से भी नही हिचकते थे वों ऐसा अवसान क्यो अंगीकार किए उन्होंने छत्तीसगढ़ियों को मासूम समझ लिया था तभी तो CS पद को सुशोभित किया, व्यक्ति किंग पिन के आरोपों के बाद भी छुट्टा घूम रहा ,लीज की जमीन पर इमारतें खड़ी करने का पुराना अनुभव काम आ रहा ,दाऊ दलाल गिरोह के मुखिया नामजद तो कई अपराधों में हैं, पर मुखिया अभी तक सुखिया ही हैं ।  सरकार कड़ी -कड़ी जोड़ने की बात कहती है पर हथकड़ी को अपने ही हाथ में धरे बैठी है ,सरकार की सुशासन वाली कथनी और करनी में अंतर बड़ा है ,बड़े -बड़े लोगों पर आरोप बड़े -बड़े है पर उन्हें बड़े -बड़ो का सह भी मिला हुआ है, दो दलीय व्यवस्था में मजे नेताओं के हैं छत्तीसगढ़िया सजा भोग रहे, तीसरे दलों का अस्तित्वहिन् होना उद्देश्य विहीन जाति समीकरण को छत्तीसगढ़ी हितों के उपर प्रश्रय देना उनके प्रसूति को अवरुद्ध ही करेगा दोनों सरकारों की कारगुजारियों को देखें तो गूंजा की जगह निशा है, चंदन की जगह प्रेम ,चरित्र सारे एक से निर्माता निर्देशक भी वही एक से राजनीतिज्ञ हैं।  मज़बूरी है छत्तीसगढ़ियों की, की उन्हें देखना पड़ेगा नदिया के पार को ------------------------------हम आपके हैं कौन बनते 

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी






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