मासिक दुर्गाष्टमी आज इस विधि से करें माँ जगत जननी की पूजा,पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

मासिक दुर्गाष्टमी आज इस विधि से करें माँ जगत जननी की पूजा,पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

आज यानी 03 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस तिथि पर हर महीने मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मान दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। गुप्त नवरात्र की मासिक दुर्गाष्टमी के दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग और शुभ योग के बारे में।

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तिथि: शुक्ल अष्टमी

मास पूर्णिमांत: आषाढ़

दिन: गुरुवार संवत्: 2082

तिथि: अष्टमी दोपहर 02 बजकर 06 मिनट तक

योग: परिघ शाम 06 बजकर 36 मिनट तक

करण: बव दोपहर 02 बजकर 06 मिनट तक

करण: 04 जुलाई को बालव दोपहर 03 बजकर 17 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चंद्रोदय: दोपहर 12 बजकर 54 मिनट पर

चन्द्रास्त: रात 12 बजकर 48 मिनट पर

सूर्य राशि: मिथुन

चंद्र राशि: कन्या

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

अमृत काल: प्रात: 07 बजकर 09 मिनट से प्रात: 08 बजकर 56 मिनट तक

अशुभ समय अवधि

गुलिक काल: प्रात: 08 बजकर 57 मिनट से प्रात: 10 बजकर 41 मिनट तक

यमगंड: प्रात: 05 बजकर 28 मिनट से प्रात: 07 बजकर 12 मिनट तक

राहु काल: दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…

हस्त नक्षत्र: दोपहर 01 बजकर 50 बजे तक

सामान्य विशेषताएं: साहसी, दानशील, ऊर्जा से भरपूर, प्रेरित, स्पष्ट दृष्टि, दीर्घकालिक सफलता, परिश्रमी, वीर, चुपके से काम करने वाला, झगड़ालू और समृद्ध

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नक्षत्र स्वामी: चंद्रमा

राशि स्वामी: बुध

देवता: सविता - सूर्योदय के देवता

प्रतीक: हाथ या बंद मुट्ठी

मां दुर्गा के मंत्र

1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

2. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

3. देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥

4 जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

5. सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥






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