अंबिकापुर : छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर एक ऐसा मामले सामने आया है जो आपको हैरान करके रख देगा. इस मामले में सीआरपीएफ में पदस्थ एक सब-इंस्पेक्टर आर. महेन्द्रन से साइबर अपराधियों ने खुद को सरकारी अफसर बताकर 22 लाख रुपये की ठगी कर ली.हैरानी की बात तो ये है कि आरोपी ने सीआरपीएफ एसआई को डिजटल अरेस्ट में 1,2 नहीं बल्कि पूरे 17 दिन रखा और लगातार उसके परिवार को खतरे में डालने की धमकी देता रहा.
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ऐसे शुरू हुआ पूरा स्कैम
दरअसल बात 5 जून की है. 5 जून की सुबह तमिलनाडू निवासी महेन्द्रन को एक अज्ञात कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम विभाग भारत सरकार का एक अफसर बताया. इसने महेंद्रन से कहा कि उनके आधार कार्ड से जुड़ी सिम से लगातार गैर कानूनी गतिविधियां हो रही है. कुछ देर बाद एक और कॉल आया जिसमें कॉलर ने दिल्ली पुलिस का अफसर बनकर वीडियो कॉल किया और फर्जी आईडी दिखाते हुए उन्हें एक फर्जी बैंक खाते से 2 करोड़ रुपये के लेन-देन में फंसाने की धमकी दी.
पत्नी के गहने रख दिए गिरवी
इतना ही नहीं आरोपी ने एसआई से कहा कि आरबीआई खाते में वेरिफिकेशन के लिए पैसे भेजने होंगे, जोकि 72 घंटे में वापस आ जाएंगे. अब तक एसआई पूरी तरह से डर चुका था. पहले वह अपनी सैलरी अकाउंट से पैसे भेजता रहा. जब पैसे कम पड़ जाते है तो फिर पत्नी के जेवर गिरवी रखकर लोन लेता है इतना ही नहीं अंत में अपने बेटे की FD तोड़कर 5 लाख रुपये ट्रांसफर करता है.
पुलिस ने किया मामला दर्ज
पैसे भेजने का सिलसिला लगातार चलता रहा जब 17 दिनों बाद ठगों के फोन आना और मैसेज आना बंद हो गए. इतना ही नहीं सारे नंबर भी बंद जाने लगे तो एसआई को समझ में आया कि वह डिजटल ठगी का शिकार हो चुका है. इसके बाद उसने गांधीनगर थाने में मामला दर्ज कराया. थाना प्रभारी के अनुसार, 22 लाख रुपये की ठगी की एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की वैधानिक जांच की जा रही है. पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66(डी) और 118(4) के तहत केस दर्ज किया है.



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