चारों स्तंभों पर हावी सरकार लोकतंत्र की नींव को खतरा? न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और पत्रकारिता पर उठते सवाल

चारों स्तंभों पर हावी सरकार लोकतंत्र की नींव को खतरा? न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और पत्रकारिता पर उठते सवाल

परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद  : लोकतंत्र में जिन चार स्तंभों को राष्ट्र की रीढ़ माना जाता है — न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका (सरकार) और पत्रकारिता — आज उन पर संतुलन बिगड़ता साफ देखा जा सकता है। देश में एक ऐसा परिदृश्य उभर रहा है, जहां सरकार खुद को सर्वोच्च मानते हुए बाकी तीनों स्तंभों पर हावी होती नजर आ रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि लोकतंत्र तभी सशक्त होता है जब इन चारों स्तंभों के बीच संतुलन और स्वतंत्रता बनी रहे। लेकिन आज की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।

न्यायपालिका पर राजनीतिक दखलंदाजी के आरोप लगते रहे हैं। कई महत्वपूर्ण मामलों में न्याय में देरी और सरकार के पक्ष में फैसलों ने लोगों में असमंजस पैदा किया है।

कार्यपालिका, जो कि प्रशासन और नौकरशाही की रीढ़ है, अब स्वतंत्र निर्णय लेने के बजाय राजनीतिक निर्देशों पर अधिक निर्भर दिखती है।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

पत्रकारिता, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, अब स्वतंत्र आवाज के बजाय 'गोदी मीडिया' कहकर बदनाम की जा रही है। सरकार के विरोध में बोलने वाली आवाजें दबाई जा रही हैं, या फिर उन पर मुकदमे लाद दिए जाते हैं। और मिडिया और मिडिया कर्मियों को भी सरकार और उनके नेताओं के हिसाब से चलाने की पुरी कोशिश होती है।

देश के कई महत्वपूर्ण घटनाओं पर आज पच्चीस से पचास साल बाद भी न्यायपालिका फैसले देने में असमर्थ है, वहीं न्यायालय में करोड़ों की संख्या में मामले अटके पड़े हैं जिन घटनाओं में किसी राजनितिक दल या राजनेताओं का नाम आ जाये तो उस फैसले के आते तक याचिकाकर्ता की मृत्यु तक हो जाती है। किसानों को अपनी खुद की जमीन पर कब्जा होने जैसे मामलों पर उनकी उम्र बीत जाती है। क्या ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था स्वतंत्र भारत के लिए सही है?

ये भी पढ़े : आज है देवशयनी एकादशी,इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा,जानें पूजा विधि

सरकार और राजनीतिक पार्टियों का हर जगह बढ़ता दखल न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है, बल्कि यह भविष्य के लिए गंभीर खतरे की घंटी भी है। यदि यही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब लोकतंत्र महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा।








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments