खरीफ सीजन में सबसे अधिक सोयाबीन, मक्का और धान की फसल लगाई जाती है. अधिकांश किसान सोयाबीन और मक्का की बुवाई लगभग कर चुके हैं. धान की रोपाई भी हो चुकी है. लेकिन, जो किसान खरीफ की सीजन में बुवाई करने से चूक गए हैं तो उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि, अब वह उड़द और मूंग की खेती कर सकते हैं. इससे भी लगभग उतना ही मुनाफा कमाया जा सकता है.
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सागर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केएस यादव बताते हैं कि 25 जुलाई तक कम दिनों में पकने वाली उड़द को लगा सकते हैं. अगर में उन्नत किस्म के बीज लगाएंगे तो 8 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से वह करें, जिसमें उन्हें 16 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है. 25 जुलाई तक बुवाई करेंगे तो भी यह सोयाबीन या मक्का के साथ ही पककर आ जाएंगे, जिसकी वजह से आपका खेत समय पर खाली हो जाएगा. आगे रबी सीजन की फसल भी बिना किसी परेशानी के ले सकेंगे.
बुवाई से पहले ये काम करें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि उड़द की उन्नत किस्म में इंदिरा उड़द प्रथम, प्रताप उड़द प्रथम, शेखर उड़द 2- 3, कोटा उड़द 1, कोटा उड़द 2 की वैरायटी में से कोई एक चुन सकते हैं यह 70 से 80 दिन में पककर तैयार होने वाली फसल है. बुवाई करने से पहले DAP या सिंगल फास्फेट पोटाश मिला कर अंतिम जुताई से पहले खेत में छिड़क दें. साथ ही बीज उपचार का भी बहुत ध्यान रखें अगर प्राकृतिक ट्राइकोडर्मा मिल जाए तो उससे बीज उपचार करें. ऐसा करने से रोग नहीं लगते हैं.
देर से बुवाई का एक और फायदा
देर से बुवाई करने का एक फायदा यह भी होगा कि पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि जुलाई में कुछ ज्यादा बारिश होती है. इसकी वजह से अंकुरण की समस्या आती है. लेकिन, जब बाद में बुवाई होगी तो इसमें कोई असर दिखाई नहीं देगा.
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