हल छठ भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। जिसे बलराम जयंती भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि हलछठ का व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इसलिए महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं, और संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। आइए पंडित जन्मेश द्विवेदी जी से जानते हैं कि अगस्त महीने में हलषष्ठी कब है और इसकी शुभ तिथि, पूजन मुहूर्त और महत्व क्या है।
हलषष्ठी कब है
पंचांग के अनुसार, हलषष्ठी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि में पड़ती है। ऐसे में यह 14 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसे में महिलाएं इस दिन व्रत रखेंगी। 14 अगस्त को यह तिथि सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू हो रही है और 15 अगस्त सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर खत्म हो रही है। इसलिए बृहस्पतिवार के दिन इसका व्रत रखा जाएगा।
हलषष्ठी के दिन शुभ तिथि
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 14 अगस्त को दोपहर 12:30 बजे
षष्ठी तिथि समाप्त: 15 अगस्त को सुबह 10:11 बजे
पूजा का समय: दोपहर का समय
हलषष्ठी व्रत कैसे रखें
इस दिन व्रती महिलाएं प्रातःकाल स्नान करके साफ कपड़ों को पहनें।
इसके बाद वे घर के आंगन में गोबर से लीप कर एक चौक बनाएं।
इसके बाद भगवान बलराम का प्रतीक एक चौकी पर रखें।
फिर इसकी पूजा करें। इस पूजा में आप हल्दी, चावल, और विभिन्न प्रकार के अनाज का प्रयोग कर सकते हैं।
इस दिन हल का उपयोग नहीं किया जाता है।
व्रती महिलाएं इस दिन बिना हल के निकले हुए अनाज और फलों का ही सेवन करती हैं।
हलषष्ठी व्रत का महत्व
हलषष्ठी व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे रखने से व्रती महिलाओं के संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से संतान को रोग, भय और अनिष्ट से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह व्रत घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए रखा जाता है।
इस तरह से आप इस व्रत को सही मुहूर्त और तिथि पर कर सकते हैं। साथ ही, इसकी महत्वता को अच्छे से जान सकते हैं।
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