नई दिल्ली : दिनभर की थकान दूर करने के लिए रात को कम से कम 7 घंटे सोना बेहद जरूरी है। लेकिन हमारी बिजी लाइफस्टाइल के कारण हम अक्सर पूरी नींद ले नहीं पाते हैं और हमारा स्लीप डेट बढ़ने लगता है।इस वजह से हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ, दोनों पर ही असर होता है। आइए जानते हैं कि स्लीप डेट होता क्या है, इसके नुकसान क्या हैं और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं।
स्लीप डेट क्या होता है?
स्लीप डेट तब होता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अपनी जरूरत के अनुसार पूरी नींद नहीं ले पाता। इसे यूं समझ सकते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को रोजाना 7-8 घंटे की नींद चाहिए, लेकिन वह केवल 5-6 घंटे ही सो पाता है, तो धीरे-धीरे उसका स्लीप डेट बढ़ता जाता है।
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यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब व्यक्ति लगातार कई दिनों या हफ्तों तक नींद पूरी नहीं कर पाता। इस स्थिति में शरीर और दिमाग दोनों पर काफी नेगेटिव असर पड़ता है।
स्लीप डेट के नुकसान क्या हैं?
नींद पूरी न होने से न केवल थकान महसूस होती है, बल्कि इसके और भी कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे-
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव- नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, तनाव, डिप्रेशन और फोकस की कमी हो सकती है।
शारीरिक समस्याएं- हार्ट डिजीज, मोटापा, डायबिटीज और इम्युनिटी कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है।
याददाश्त कमजोर होना- नींद पूरी न होने से दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता, जिससे याद रखने की क्षमता प्रभावित होती है।
दिनभर सुस्ती और आलस- स्लीप डेट के कारण दिन में नींद आना, एनर्जी की कमी और काम में मन न लगना जैसी समस्याएं होती हैं।
नींद पूरी करने के लिए क्या करें?
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