चीन और पाकिस्तान के बीच तकनीकी गठजोड़ ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। सुरक्षा बलों द्वारा यह बरामदगी अपरिष्कृत आतंकी वारदातों से तकनीक आधारित संघर्ष की ओर बदलाव का प्रतीक है। इससे स्पष्ट है कि आतंकी किस तरह चीनी बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता का लाभ उठा रहे हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में दी गई जानकारी
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच रणनीतिक गठबंधन ने उन्नत सैन्य उपकरण के लिए एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला बनाई है।
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आतंकियों को हथियार दे रहा चीन
2019 और 2023 के बीच पाकिस्तान के हथियारों के आयात में चीन की हिस्सेदारी 81 प्रतिशत थी, जिसकी कुल कीमत लगभग 528 करोड़ डॉलर थी। यह साझेदारी पारंपरिक हथियारों से कहीं आगे तक फैली हुई है, जिसमें दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। इन प्रौद्योगिकियों की पैठ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी शस्त्रागारों तक हो चुकी है।
यूरोपियन टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने इस क्षेत्र में तकनीकी घुसपैठ की गंभीरता को उजागर किया, जहां सुरक्षा बलों ने घटना स्थल से हुआवेई का सेटेलाइट फोन, चीन निर्मित जीपीएस उपकरण, बॉडी कैमरा और एन्कि्रप्टेड संचार प्रणाली जब्त की।
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आतंकी चीनी बुनियादी ढांचे का लाभ उठा रहे
सुरक्षा बलों द्वारा यह बरामदगी अपरिष्कृत आतंकी वारदातों से तकनीक आधारित संघर्ष की ओर बदलाव का प्रतीक है। इससे स्पष्ट है कि आतंकी किस तरह चीनी बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता का लाभ उठा रहे हैं। अत्याधुनिक नेटवर्क ने आतंकियों को रियल टाइम में समन्वय करने में सक्षम बना दिया है।


