नई दिल्ली : सोचिए, अगर आपके पास सिर्फ एक लाख रुपए हों और वही पैसा आगे चलकर 1 करोड़ रुपए बन जाए तो? सुनने में यह किसी जादू से कम नहीं, लेकिन निवेश की दुनिया में ये वाकई जादू ही है। जिसका नाम है- कंपाउंडिंग। अब आप कहेंगे कि कंपाउंडिंग (Compounding) क्या है? तो चलिए समझते हैं कि आखिर ये क्या बला है?
What is Compounding : क्या है कंपाउंडिंग ?
कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) यानी ब्याज पर ब्याज। आसान शब्दों में कहें तो, जब आप पैसे का निवेश करते हैं तो उस पर आपको ब्याज मिलता है। फिर ब्याज पर मिलने वाला ब्याज उसी निवेश में जोड़ दिया जाता है, जो अगली बार ब्याज सिर्फ़ मूलधन पर नहीं बल्कि "मूलधन + पिछले ब्याज" पर मिलता है। यही चक्र लगातार चलता है और लंबे समय में छोटी रकम भी बहुत बड़ी हो जाती है।
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₹1 लाख के ₹1 करोड़ कैसे बनेंगे?
अब समझते हैं 1 लाख रुपए से 1 करोड़ वाला कैलकुलेशन:
कंपाउंडिंग में ये दो बातें हैं सबसे ज़रूरी
यही है कंपाउंडिंग (Compounding) और उसका जादू। यानी आपका पैसा अपने आप और पैसा कमाता है। लेकिन इसमें सबसे ज़रूरी बात है- समय और धैर्य। जितना जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना बड़ा फायदा मिलेगा। बहुत से लोग यह सोचकर निवेश टालते रहते हैं कि 'बाद में करेंगे' या 'इतने कम पैसों से क्या होगा', लेकिन यही छोटी शुरुआत लंबे वक्त में बड़ा बदलाव ला देती है।
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वॉरेन बफे की भी सफलता का राज यही
वॉरेन बफेट जैसे दुनिया के सबसे बड़े निवेशक भी कहते हैं कि उनकी सफलता का राज कंपाउंडिंग और धैर्य है। तो अगली बार जब आप निवेश के बारे में सोचें, याद रखिए- पैसा पेड़ की तरह है। जितना जल्दी बोएंगे, उतना बड़ा पेड़ बनेगा और उतना ही ज्यादा फल देगा।
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