रायगढ़ : रायगढ़ जिले में वर्षों से चल रहे कौशल विकास के खेल से पर्दा उठना तय है। हर साल करोड़ों रुपए कौशल विकास के नाम पर फूंके जाते हैं। कई उद्योग भी इस योजना में डुबकी लगा रहे हैं। पांच उद्योगों ने करीब 16 करोड़ रुपए खर्च डाले हैं। लेकिन उपलब्धि के नाम पर सभी कन्नी काट जाते हैं। 400 से ज्यादा छोटे-बड़े उद्योग स्थापित होने के बाद व्यापारिक हब बन रहा रायगढ़ अब योग्य युवाओं की तलाश में है। इसे लोकल युवा शक्ति से पूरा किया जा सकता है लेकिन दिक्कत प्रशिक्षण की है। अब तक करीब 15 सालों में युवाओं के कौशल विकास के लिए सरकार और निजी उद्योग करोड़ों रुपए खर्च कर चुके हैं। फिर भी चंद आईटीआई और एक लाइवलीहुड कॉलेज के अलावा कोई ऐसा संस्थान नहीं बन सका।
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लाइवलीहुड कॉलेज को भी युवाओं के लाभ के लिए उपयोग करने के बजाय केवल डीएमएफ की राशि खपाने का अड्डा बना दिया गया। पहले किराए के भवन में लाइवलीहुड कॉलेज चलता रहा है जिसमें आधे-अधूरे ट्रेनिंग के माध्यम से भर्राशाही की गई। तब के प्रशिक्षित युवाओं के बारे में जानकारी लेंगे तो आधे से अधिक दूसरे सेक्टर में पाए जाएंगे। अब उद्योग भी इस सेक्टर में उतर गए हैं क्योंकि इसमें काम करने का दिखावा आसानी से किया जा सकता है। रायगढ़ जिले में पांच उद्योगों ने 16.28 करोड़ रुपए कौशल विकास के काम में व्यय कर दिए हैं। यह राशि सीएसआर में दिखाई जाती है। अब कितने युवा ट्रेनिंग के बाद कहां काम कर रहे हैं, इस सवाल का जवाब ही नहीं मिल रहा है।
कई ट्रेड हो रहे व्यर्थ
पूर्व में लाइवलीहुड कॉलेज में ऐसे ट्रेड में ट्रेनिंग दी जाती रही जिसके लिए रायगढ़ से बाहर चंद हजार की नौकरी करने जाना पड़ता था। कुछ महीने युवा काम करने के बाद वापस आ जाता था क्योंकि उसे भविष्य नहीं दिख रहा था। पुराने प्लेसमेंट पाए और बचे हुए युवा अब भी बेरोजगार हैं।
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