बैंगन एक ऐसी फसल है जिसकी खेती लगभग पूरे साल की जा सकती है. बैंगन भारत के कई राज्यों जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल आदि में एक प्रमुख नकदी फसल मानी जाती है. किसान आसानी से हर एक मौसम में उसको उगाकर अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. हालांकि फिलहाल पारंपरिक खेती के हटकर, वैज्ञानिक तरीकों और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसान बैंगन की खेती से लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
बैंगन की खेती के लिए जरूरी पहलू
बैंगन की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए कुछ अहम बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
1. सही समय पर बुवाई
बैंगन की फसल को तीन मुख्य मौसमों में उगाया जाता है
वर्षाकालीन फसल: नर्सरी के लिए बीज फरवरी-मार्च में बोए जाते हैं.
शरदकालीन फसल: नर्सरी जून-जुलाई में तैयार की जाती है.
बसंतकालीन फसल: नवंबर-दिसंबर में नर्सरी लगाई जाती है.
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2. उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
बैंगन की फसल के लिए करीब 5.5 से 6.0 पीएच मान वाली बलुई दोमट या बलुई मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है. बैंगन की यह फसल गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है. वैसे ध्यान रखें कि यह फसल सर्दी में पाले में सुरक्षित रखना बहुत जरूरी होता है.
3. उन्नत किस्में,तकनीक और सब्सिडी
हाइब्रिड किस्में:अधिक पैदावार के लिए हाइब्रिड किस्मों का चयन करना चाहिए.
मल्चिंग:खेत में प्लास्टिक मल्चिंग का यूज करने से खरपतवारों की समस्या कम होती है, मिट्टी में नमी बनी रहती है और उत्पादन भी बढ़ जाता है.
ड्रिप सिंचाई:ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) प्रणाली से पानी की बचत होती है और पौधों को सीधे जड़ों में पानी मिलता है.
सब्सिडी:राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत यूपी, बिहार जैसे कई राज्यों में इस सब्जी की खेती पर सब्सिडी पर सकते हैं.
लागत और कमाई का गणित
उदाहारण के रूप में मान लें कि बैंगन की खेती में लागत प्रति एकड़ करीब ₹38,000 से ₹65,000 तक आ सकती है, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी शामिल होते हैं. तो अगर किसान ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग पेपर का उपयोग करते हैं, तो लागत थोड़ी और बढ़ सकती है.
हालांकि इसके मुकाबले मुनाफा काफी ज्यादा होता है. एक एकड़ में करीब 125 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है. अगर प्रति किलो करीब ₹12 का न्यूनतम भाव भी मिलता है, तो एक एकड़ से ₹1.5 लाख की कमाई हो सकती है. अगर फसल 10 महीने तक खेत से मिल जाती है, तो किसान आराम से ₹ 8 से 10 लाख तक कमा सकते हैं.हालांकि इसके लिए किसान को खेती पर पूरा मुनाफे के ध्यान में रखकर फोकस करना होगा.
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चुनौतियों और समाधान
बैंगन की खेती में कई चुनौतियां भी होती हैं, जैसे कि फल और तना छेदक कीट. इन कीटों से बचाव के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) और नीम वाले कीटनाशकों का यूज कर सकते हैं. इसके अलावा, जैविक और रासायनिक खादों का सही मात्रा में यूज भी जरूरी होता है. इसकेअलावा किसान सरकारी योजनाओं और कृषि विशेषज्ञों की मदद लेकर इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं और बैंगन की खेती को मुनाफे का सौदा बना सकते हैं.
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