सफलता की कहानी : बिहान योजना से आत्मनिर्भर बनीं प्रेमवती बैगा

सफलता की कहानी : बिहान योजना से आत्मनिर्भर बनीं प्रेमवती बैगा

एमसीबी : बिहान योजना (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-छत्स्ड) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु स्व-सहायता समूहों का गठन कर उन्हें स्वरोजगार और कौशल विकास से जोड़ा जा रहा है। इस योजना के प्रभाव को दर्शाने वाली एक सशक्त मिसाल हैं ग्राम देवगढ़ की निवासी प्रेमवती बैगा।

पृष्ठभूमि - प्रेमवती बैगा एक सामान्य ग्रामीण महिला थीं जो घरेलू कार्यों में व्यस्त रहती थीं। आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति में होने के कारण उनके परिवार की आय सीमित थी। लेकिन उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव तब आया जब वे बिहान योजना के अंतर्गत सरस्वती स्व-सहायता समूह से जुड़ीं।

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योजना से जुड़ाव एवं कार्य की शुरुआत - प्रेमवती बैगा ने बिहान योजना के अंतर्गत बैंक से 1,00,000 रूपये का ऋण प्राप्त किया। इस राशि से उन्होंने 182 सेंट्रिंग प्लेट खरीदीं। उन्होंने निर्माण कार्यों में लेंटर ढलाई का व्यवसाय शुरू किया। व्यवसाय को आत्मविश्वास और मेहनत से आगे बढ़ाया।

आय में वृद्धि और आत्मनिर्भरता - वर्तमान में प्रेमवती बैगा की मासिक आय 25,000 रूपये तक पहुँच गई है। इस सफलता के साथ वे अब “लाखपति दीदी“ के रूप में पहचानी जाती हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है।
सामाजिक प्रभाव- प्रेमवती बैगा की सफलता ने अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का कार्य किया है। आज जिले में लगभग 8000 महिलाएं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर कार्य कर रही हैं। महिलाओं में आत्मविश्वास और सशक्तिकरण की भावना जागृत हुई है।

योजना की विशेषताएं - महिला सशक्तिकरण हेतु समूह निर्माण बैंक ऋण, प्रशिक्षण, विपणन सुविधा कृषि, पशुपालन, निर्माण, लघु उद्योग से जुड़ाव कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से आय वृद्धि हुआ है। प्रेमवती बैगा की यह यात्रा यह प्रमाणित करती है कि यदि महिलाओं को सही मार्गदर्शन, संसाधन और अवसर मिले तो वे न केवल आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती हैं। बिहान योजना जैसे कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदलने की क्षमता रखते हैं।









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