रायपुर :रायपुर सेंट्रल जेल से एक कैदी के फरार हो जाने से न सिर्फ जेल प्रशासन में खलबली मची हुई है बल्कि जेल में सुरक्षा इंतजामों की पोल भी खुल गई है. ये मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि रायपुर जेल में न सिर्फ कई कुख्यात नक्सली बल्कि लॉरेंस विश्वोई गैंग के गुर्गे भी बंद हैं.इसी जेल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल भी बंद हैं. इस सेंट्रल की क्षमता 1586 कैदी की है लेकिन यहां फिलहाल 3000 से ज्यादा कैदी बंद हैं. इसमें से भी 85 फीसदी कैदी अंडर ट्रायल हैं.
पूरे प्रदेश 33 जेल, सभी में क्षमता से ज्यादा कैदी
वैसे देखा जाए तो पूरे प्रदेश के जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में कुल 33 जेल हैं और उसमें 20 हजार कैदी बंद हैं. जबकि इसकी क्षमता 14 हजार 8 सौ 83 कैदियों की है. रायपुर सेंट्रल जेल से जो कैदी फरार हुआ है वो NDPS Act में यहां सजा काट रहा था. फरार कैदी का नाम चंद्रवीर सिंह है और वो साल 2021 से ही यहां बंद था. जानकारी के अनुसार, गुरुवार दोपहर करीब दो से 2:30 बजे के बीच पांच कैदियों को जेल परिसर में बने महिला जेल के पास अंडर कंस्ट्रक्शन हिस्से में वेल्डिंग का काम करने ले जाया गया था. इसी दौरान कैदी जेलकर्मियों को चकमा देकर मौके से फरार हो गया. इतनी सख्त सुरक्षा इंतजाम के बावजूद चंद्रवीर का फरार हो जाना सेंट्रल जेल प्रशासन पर सवाल खड़े करता है.
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क्या है NDPS एक्ट?
NDPS का पूरा नाम नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (Narcotics Drugs And Psychotropic Substances) है. इस एक्ट के तहत नशीली दवाइयों इस्तेमाल या नशीली पदार्थ के उत्पादन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा, यदि कोई शख्स किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों के निर्माण, खेती, कब्जा, ब्रिकी, खरीद या सेवन करने जैसे गतिविधियों में शामिल होता है, तो उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाता है.
सेंट्रल जेल में 40% अपराधी गंभीर अपराधों के
रायपुर सेंट्रल जेल में हत्या,बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर अपराध के 40 फीसदी कैदी हैं. इसके साथ ही कई कुख्यात नक्सली भी यहां अपनी सजा काट रहे हैं. इसके अलावा लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े कैदी भी जेल में बंद हैं जो इस जेल को संवेदनशील बना देते हैं. जेल में मैन्युअल के मुताबिक ही कैदियों को काम दिया जाता है. जेल में रसोई, बागवानी के साथ-साथ कई कुटीर उद्योग पर भी काम होता है. मसलन- साबुन बनाना, मोमबत्ती बनाना, मूर्तियां बनाना, मुर्गी पालन करना, प्लमबिंग और इलेक्ट्रिक फिटिंग जैसे काम भी जेल में कराए जाते हैं. जेल प्रशासन सजायाफ्ता कैदी को उसकी क्षमता और आचरण के हिसाब काम देता है. ये काम जेल के अंदर और बाहर के भी हो सकते हैं.
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