अमेरिका की कोर्ट ने ट्रंप के इस टैरिफ को बताया गैरकानूनी,इसका भारत पर क्या असर?

अमेरिका की कोर्ट ने ट्रंप के इस टैरिफ को बताया गैरकानूनी,इसका भारत पर क्या असर?

नई दिल्ली :  ट्रंप टैरिफ को अवैध घोषित करने के अमेरिकी अदालत के निर्णय से भारत को राहत मिल सकती है। यदि सुप्रीम कोर्ट में अपीलीय अदालत का ये फैसला बरकरार रहता है, तो भारत पर लगा 25 प्रतिशत 'पारस्परिक टैरिफ' निश्चित रूप से हटा दिया जाएगा।

हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि रूसी तेल खरीदने के लिए लगाए गए 25 प्रतिशत के 'दंडात्मक टैरिफ' पर यह फैसला लागू होगा या नहीं। होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा था कि यह रूस से ''संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरों'' से निपटने के लिए लगाया गया था।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - हम आपके हैं कौन बनते

अमेरिका को हो सकता है नुकसान

ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि अगर टैरिफ रद कर दिए जाते हैं, तो उसे अब तक हासिल आयात शुल्क वापस करना पड़ सकता है। इससे खजाने पर बुरा असर पड़ सकता है। पिछले दिनों अमेरिकी वाणिज्य मंत्री स्काट बेसेंट ने दावा किया था कि अमेरिका को ट्रंप टैरिफ से अगस्त में 300 अरब डॉलर की आमदनी हुई थी। अगले महीने ये 500 अरब डॉलर होने का अनुमान था।

ट्रंप को करना पड़ सकता है चुनौतियां का सामना

अदालत का फैसला भविष्य में टैरिफ लगाने की ट्रंप की स्थिति को कमजोर कर सकता है। होलैंड एंड नाइट ला फर्म की वरिष्ठ वकील और पूर्व न्याय विभाग की वकील एशले एकर्स ने बताया कि हालांकि मौजूदा व्यापार सौदे तुरंत समाप्त नहीं होंगे, लेकिन प्रशासन आगे टैरिफ प्रेशर नहीं बना पाएगा।

इससे भविष्य में विदेशी सरकारों को विरोध करने, पिछली प्रतिबद्धताओं को लागू करने में देरी करने और यहां तक कि शर्तों पर फिर से बातचीत करने का दबाव बढ़ाने का मौका मिल सकता है।

ट्रंप दूसरे कानूनी विकल्पों का ले सकते हैं सहारा

ट्रंप के पास आयात कर लगाने के लिए वैकल्पिक कानून हैं, लेकिन वे उनकी कार्रवाई की गति और गंभीरता को सीमित कर देंगे। उदाहरण के लिए, मई में व्यापार अदालत ने कहा था कि ट्रंप के पास एक और कानून- ट्रेड एक्ट आफ 1974- के तहत व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए टैरिफ लगाने की सीमित शक्ति है।

ये भी पढ़े : छत्तीसगढ़ में 14 मंत्री बनाए जाने पर राजनीति तेज, हाईकोर्ट पहुंची कांग्रेस.. सुनवाई 2 सितंबर को

लेकिन यह कानून केवल 150 दिन के लिए 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने की छूट देता है। ये टैरिफ भी केवल उन देशों पर लगाया जा सकता है, जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बड़ा हो।

इसके अलावा ट्रंप प्रशासन ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट आफ 1962 की धारा 232 के तहत भी टैरिफ लगा सकता है, जैसा कि उसने विदेशी स्टील, एल्यूमीनियम और आटो पर टैरिफ के साथ किया था। लेकिन राष्ट्रपति इसे मनमाने तरीके से लागू नहीं कर सकते हैं।








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News